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काव्यलेखन
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शीर्षक | लेखक | प्रतिसाद | शेवटचा प्रतिसाद | मुख्य चित्र/फोटो |
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कधी मी आगही प्यालो, कधी मी झोकला वारा! लेखनाचा धागा | सतीश देवपूरकर | 7 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
आता खरी कळाली गोडी मला फळांची! लेखनाचा धागा | सतीश देवपूरकर | 5 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
विसरणेही तुझ्या लक्षात नाही (तरही) लेखनाचा धागा | इस्रो | 5 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
अध्यात्मवाद्यांची ईथे बोलतीच बंद आहे... लेखनाचा धागा | आळुच्या वड्या | 33 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
पोळले काळीज तेव्हा नितळली माझी गझल! लेखनाचा धागा | सतीश देवपूरकर | 21 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
विस्मृती झरतात संततधार हल्ली! लेखनाचा धागा | सतीश देवपूरकर | 86 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
जे होते तेच आपले नाते होते... लेखनाचा धागा | अ. अ. जोशी | 11 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
पावले ऋतूंची मीही पाहणे जरूरी होते! लेखनाचा धागा | सतीश देवपूरकर | 13 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
ह-झ-ल : पाहतो कोठे बिपाशा फार हल्ली... लेखनाचा धागा | अ. अ. जोशी | 3 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
नमस्काराय.. लेखनाचा धागा | कमलाकर देसले | 13 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
दिसावयाला हरेक माणूस संत आहे! लेखनाचा धागा | सतीश देवपूरकर | 26 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
उडदामाजी काळे गोरे.... (अतिजलद....हझल) लेखनाचा धागा | अ. अ. जोशी | 15 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
पानगळ चक्क वाजवी होती लेखनाचा धागा | बेफ़िकीर | 23 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
मिळते सुखाचे गाजर हल्ली (हजले पर्यंत मजल) लेखनाचा धागा | डॉ. बंडोपंत | 3 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
मी तिच्या पत्रातला मजकूर होतो! लेखनाचा धागा | सतीश देवपूरकर | 35 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
यमक मिळे की सुरू पहा... (हझल) लेखनाचा धागा | अ. अ. जोशी | 10 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
दाटते आहे निराशा फार हल्ली....(हजल-तरही) :-) लेखनाचा धागा | सुप्रिया जाधव. | 7 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
बुरख्याआडचे वाढले वार हल्ली लेखनाचा धागा | शायर पैलवान | 13 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
दाटते आहे निराशा फार हल्ली...... (तरही) लेखनाचा धागा | सुप्रिया जाधव. | 13 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
भोवती अंधार वारेमाप आहे! लेखनाचा धागा | सतीश देवपूरकर | 22 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
सुज्ञपणाचा बुरखा मजला कधी न आला पांघरता! लेखनाचा धागा | सतीश देवपूरकर | 11 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
धरबंध सुटल्यासारखा लेखनाचा धागा | सुप्रिया जाधव. | 15 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
झालो होतो सर्वांचा मी जळल्यावरती लेखनाचा धागा | अ. अ. जोशी | 4 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
झालो होतो सर्वांचा मी जळल्यावरती लेखनाचा धागा | अ. अ. जोशी | 3 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
फळे चाखली तेव्हा मजला अर्थ कळाला फुलण्याचा! लेखनाचा धागा | सतीश देवपूरकर | 5 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
कळेना लागला माझ्या जिवाला ध्यास कोणाचा? लेखनाचा धागा | सतीश देवपूरकर | 8 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
मी सोडले लेखनाचा धागा | श्रावण१८ | 47 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
मी तुझ्या दारात होतो! वाहते पान | सतीश देवपूरकर | 22 | Mar 20 2020 - 1:52am | |
अश्याच परिचारिकेस पुसले मिळेल थोडे मलम कुठे लेखनाचा धागा | बेफ़िकीर | 17 | Jan 14 2017 - 7:55pm | |
तरी हर एक अर्जावर लिही जाती-प्रजाती ! लेखनाचा धागा | रसप | 10 | Jan 14 2017 - 7:55pm |