मैं हूं ।
यह एक आत्मा, जो “मै” है। वह शरीर जो कि “तुम” हो, का होना दिखलाता है।
मैं हूं ।
।। मैं सदा से ही हूं । मैं सदा ही रहूंगा।।
न मै किताबो मैं, ना मंदिर में,
तुम क्यों खोजते हो बाहर।
मै तुम्हारे ही अंदर हु।
मेरे तो केवल शरीर बदले है।
मै अविनाशी हु।
।।मै सदासे था। सदा ही रहूंगा।।
तुम मस्तिष्क से मुझे ना खोजो।
तुम्हारा अहंकार मुझे ढक देता है।
तुम्हारा गर्व मुझे कलुषित कर देता है।
तुम्हारा क्रोध मुझे नष्ट करता है।
तुम क्रोध से विचलित होते हो।
तुम वासना और इर्ष्या से भ्रमित होते हो।