अवघे सावळ

Submitted by पुरंदरे शशांक on 29 June, 2016 - 02:44

अवघे सावळ

उतरले पूर्ण | तुकोबा जीवन | यथार्थ दर्शन | गाथेमाजी ||

चिंतनी मननी | भक्तांसी तुकोबा | नवल विठोबा | करीतसे ||

अभंग तुक्याचे | निरखी विठ्ठल | मनी कुतुहल | फार दाटे ||

कैसी ही आगळी | भक्तिची माधुरी | शब्दी खरोखरी | सामावेना ||

मिटूनी नयन | बैसे स्वस्थचित्त | श्रीहरि एकांत | भोगतसे ||

तुकोबा तुकोबा | गजर अंतरी | आनंद सागरी | देव बुडे ||

विठ्ठल का तुका | तुका कि विठ्ठल | अवघे सावळ | एकरुप ||

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मस्त !

आहा हा..
चिंतनी मननी | भक्तांसी तुकोबा | नवल विठोबा | करीतसे ||

अभंग तुक्याचे | निरखी विठ्ठल | मनी कुतुहल | फार दाटे ||

खूप म्हणजे खूपच सुंदर

चिंतनी मननी | भक्तांसी तुकोबा | नवल विठोबा | करीतसे ||
अभंग तुक्याचे | निरखी विठ्ठल | मनी कुतुहल | फार दाटे || >>>

आपल्या भक्ताचा महिमा तो कौतुकाने बघतोय - कंबरेवर हात ठेऊन. पण तो आणि त्याचा तो भक्त वेगळे तरी कुठे आहेत? शशांक, अप्रतीम अहे हे!

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