राजकारण कविता

राजकारण

Submitted by प्रतिक सोमवंशी on 17 May, 2019 - 00:23

पैश्यांचे छप्पर | पैश्यांच्याच भिंती
नात्यांच्या किंमती | मातीमोल ||

लक्ष खुर्चीवर | राजकारण हे
मरु दे मेले ते | सत्ता हवी ||

घरात घुसले | समृद्धीचे मार्ग
मातीविन स्वर्ग | व्यर्थ जाय ||

असे हे आमुचे | राज्य मॅग्नेटिक
बळीराजा भीक | मागतोया ||

टांगला फांदीला | जीव हा लाखाचा
दुष्काळ सुखाचा | मोक्षोत्तर ||

येऊ द्या सत्ता | काढुया रुसवे
असेना फसवे | अच्छे दिन ||

Subscribe to RSS - राजकारण कविता