Submitted by Admin-team on 3 January, 2009 - 00:57
शीर्षक | प्रतिसाद |
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चांदणे आहे खरे की... (तरही गझल) आनंदयात्री | 32 |
नखरे असे गुलाबी... Girish Kulkarni | 28 |
फिरून शैशव यावे...! के अंजली | 30 |
गाथा आरसा | 1 |
परत तुझ्याच कविता...... Girish Kulkarni | 47 |
पथिक जया एम | 19 |
पंढरीचा राया : अभंग अभय आर्वीकर | 22 |
पाणी झुंबर मंथर जया एम | 11 |
आतून जागते कोणी जया एम | 8 |
एका "पहिल्याची" दुसरी गोष्ट !!! भुंगा | 53 |
एक स्फोट तर झाला आहे बेफ़िकीर | 23 |
इंद्रायणी काठी.. सांजसंध्या | 18 |
उन्दिर पकड्ल्याचा पश्चाताप!! निनाव | 44 |
आस एका कुंचल्याला (स्टारी नाईटस : एक वेडा प्रयत्न ) सांजसंध्या | 22 |
धूर फडतूस | 26 |