दिवाळी पंढरीतील

Submitted by दत्तात्रय साळुंके on 17 November, 2021 - 01:19

कळीकाळाचे ते | सुटले ग्रहण ||
अभ्यंगाचे स्नान | भिमातीरी ||

ऐसी पंढरीशी | साजिरी दिवाळी ||
भक्त मांदियाळी | पायरीशी ||

झाडीले अंगण | विठूने सकाळी ||
रेखाटे रांगोळी | रखमाई ||

सजले तोरण | महाद्वारी छान ||
तुळशीचे पान | गंधाळले ||

नाम गजराचा | फुटला फटाका ||
त्याचाच दणका | दाहीदिशा ||

नामाचाच लाडू | करंजी नामची ||
जाजमे भक्तीची | बैसावया ||

बैसल्या पंगती | पंढरी नगरी ||
विठू हारोहारी | वाढतसे ||

भेटली विठ्ठली | नेत्र पाणावली ||
आस निववली | हृदयीची ||

मिठी दृढ पायी | लाविले हृदयी ||
भेटली गा माई | लेकराशी ||

कशानेही आता | नकोची दुरावा ||
मरण सांगावा | पायी यावा ||

उजळला दीप | अंतरी प्रदोष ||
ऐसी एकादश | दूजी नाही ||

© दत्तात्रय साळुंके

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