लिक्खा करे हैं ..तुम्हे रोज ही मगर

लिक्खा करे हैं ..तुम्हे रोज ही मगर....

Submitted by rupeshtalaskar on 31 October, 2011 - 14:39


लिक्खा करे हैं

लिक्खा करे हैं ..तुम्हे रोज ही मगर...
ख्वाहीशोन कें खत तुम्हें भेजेही नही,,,,,,
एनक लगाके कभी पढनां वो चिठीया..
पल्कोन्के पानीमें रखना वो चिठीया,....
तैरती नजर आयेगी जनाब.....

गुलमोहर: 
Subscribe to RSS - लिक्खा करे हैं ..तुम्हे रोज ही मगर