अभंगवाणी

Submitted by Asu on 29 December, 2018 - 12:00

अभंगवाणी

परनारी धन | भोगी तो दुर्जन |
ऐशा भगवन | मानू नये ||

मानी स्वतः इश | करी जयकार |
ऐसा भोंदू नर | ओळखावा ||

म्हणे बाबा माता | फसवी जनता |
तया शत लत्ता | तू हाणाव्या ||

देवाचे दलाल | होती मालामाल |
करा त्यांचे हाल | वेचोनिया ||

मनी हवी श्रद्धा | नको अंधश्रद्धा |
मानी त्यास गध्धा | समजावा ||

जया चित्त स्थिर | आणि निर्विकार |
तया कै आधार | कुबड्यांचा ||

नारी सत्ता धन | मृत्तिकेसमान |
मानी तोची जन | भगवंत ||

दया क्षमा शांती | नसे दुष्ट मती |
तिथे संत वृत्ती | ओळखावी ||

परमार्थ छंद | तोच पुण्यवंत |
असे तोची संत | आपणासी ||

दिव्यासम जळे | दुजा तेज मिळे |
गाऊ त्यां सगळे | मिळोनिया ||

सज्जन संवाद | घेऊ आशिर्वाद |
यश निर्विवाद | मिळे सदा ||

- प्रा.अरुण सु. पाटील (असु)
© सर्व हक्क स्वाधीन
https://www.facebook.com/AsuChyaKavita

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