मजरूह लिख रहें है वो, अहल-ए-वफा़ का नाम... Submitted by टवाळ - एकमेव on 23 May, 2012 - 06:07 मजरूह लिख रहें है वो, अहल-ए-वफा़ का नाम हमभी खडे हुवे है, गुनहगार की तरह हम है मतां-ए-कुचा ओ, बाजार की तरह उठती है हर निगाह, खरी़दार की तरह गुलमोहर: ललितशब्दखुणा: संगीतचित्रपटगीतकारमजरूहशेअर कराwhatsappfacebooktwittergoogle+pinterestemail