इंद्र जिमि जंभपर (मराठी अनुवाद)
Submitted by चैतन्य दीक्षित on 19 February, 2012 - 05:20
इंद्र जृंभकासुरास, वडवानल सागरास,
गर्वयुक्त रावणास, रघुकुलपति तो बली ।
वायु जसा मेघाला, शंभु जसा मदनाला,
आणि कार्तवीर्याला* राम विप्ररूप तो ।
वणवा जाळी द्रुमांस, चित्ता फाडी मृगांस,
मारी गजपुंगवास जैसा वनराज तो ।
तेज तमाच्या नाशा, कृष्ण जसा वधि कंसा,
म्लेंच्छांच्या ह्या वंशा, शिवराजा काळ हो ।
(* कार्तवीर्य= सहस्रार्जुन, मूळ काव्यात 'सहसबाह')
- चैतन्य दीक्षित
मूळ काव्य-
इंद्र जिमि जंभ पर, बाडव सुअंभ पर
रावण सदंभ पर, रघुकुलराज है |
पौन बारिबाह पर, संभु रतिनाह पर
जो सहसबाह पर राम द्विजराज है |
दावा द्रुमदंड पर, चीता मृगझुंड पर
भूषन वितुण्ड पर जैसे मृगराज है |
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