काळ कडवा होत गेला*
Submitted by जयन्ता५२ on 17 December, 2011 - 09:32
काळ कडवा होत गेला
शब्द हळवा होत गेला
कालचा तो धृवतारा
आज चकवा होत गेला
रांग वाढे मंदिरी अन्
काळ बडवा होत गेला
हात दोन्ही सारखे पण
एक उजवा होत गेला
अंगठया, दोरे, विभूती
संत फसवा होत गेला
बोल त्याचे,मौन त्याचे
एक फतवा होत गेला
---------------------------------जयन्ता५२
* आधी इतरत्र प्रकाशित
गुलमोहर:
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