रवि

गुरु

Submitted by तो मी नव्हेच on 31 July, 2020 - 10:26

धाऊनिया दिवस रात। देई सर्वांस पोषण।
धरणी अक्षय रांजण। ती गुरु माझा।।

नित्य तोषवी चराचर। न कशाचे त्या अप्रुप।
सकलांत जल एकरूप। ते गुरु माझा।।

घेई पोटी सकलांस । बांधी कुणा न बंधन।
मुक्त आकाशी सर्वजण । ते गुरु माझा।।

अग्नि प्रदिप्त पोटाशी। देई सकलांस जीवन।
रवि अनादि प्रकाशमान। तो गुरु माझा।।

राखी न स्वतःशी काही। वाही निष्काम निरंतर।
वारा न दे कुणा अंतर। तो गुरु माझा।।

दावी मार्ग अनादि सकला। ती महाभूते निराकार।
रूपे घेतसी सगुण साकार। ती गुरु माझा।।

- रोहन

शब्दखुणा: 
Subscribe to RSS - रवि