ये कुछ आधे अधुरे पन्ने है - पन्ना १७
Submitted by स्वप्ना_राज on 26 October, 2016 - 00:45
लम्हों की खुली किताब है जिंदगी
खयालों और सासोंका हिसाब है जिंदगी
कुछ जरुरते पूरी, कुछ ख्वाहिशें अधुरी
इन्ही सवालोंके जवाब है जिंदगी
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शब्दखुणा: