चीजांचे शब्द आणि अर्थ : धागा क्रमांक - ३

Submitted by गजानन on 1 May, 2012 - 13:10

बर्‍याचदा बंदिशीचे शब्द आणि त्यांचे अर्थ कळत नाहीत म्हणून हा धागा.

याआधीची चर्चा इथे आहे -
चीजांचे शब्द आणि अर्थ : धागा क्रमांक - १
चीजांचे शब्द आणि अर्थ : धागा क्रमांक -२

चीजांच्या पोष्टींचे दुवे :

पान १ :
पं. जसराज : राग सिंधभैरवी सूरदास भजन - ऊधौ जोग सिखावन आए
पं. जसराज : राग अहिर भैरव - वंदना करो, अर्चना करो।
पं. जसराज व पं. मणिप्रसाद : राग जोग धनाश्री - सखी मोहे मीत बता
संजीव अभ्यंकर- सूरदास भजन- मन ना भये दस-बीस - ऊधो, मन ना भये दस-बीस
पं. जसराज : राग दरबारी कानडा लक्षणगीत - ऐसी दरबारी गुनिजन गावे
पं. जसराज : राग अलहैया बिलावल - दैया कहां गये लोग
पं. जसराज : राग जयजयवंती लक्षणगीत - जय जय सिद्धी कराली
पं जसराज : कबीर भजन - उलटि जात कुल दोऊ बिसारी
पं. जसराज : कबीर भजन - रितु फागुन नियरानी हो, कोई पिया से मिलाये
उस्ताद रशीद खान : भजन - प्रभू की प्रीत जगी
बेगम परवीन सुलताना : ठुमरी मिश्र खमाज - रसिया मोहे बुलाये
विदुषी शोभा मुद्गल : रागेश्री - कह न गये सैंया
विदुषी शुभा मुद्गल : रागेश्री - आयो अत मतवारो साँवरो
विदुषी शुभा मुद्गल : राग तिलक कामोद - आवत घर आये
विदुषी गंगूबाई हनगल : राग जयजयवंती - अचल रहो राजा
विदुषी गंगूबाई हनगल : राग हिंडोल - लाल जिन कर हो माई सन बरजोरी
पं. कुमार गंधर्व : राग बागेश्री - सखी मन लागे ना
श्वेता झवेरी : राग यमन - मैं बैरागी तुमरे दरस की प्यासी / सुन सुन प्रिय
पं. तुषार दत्ता : राग बिहाग - कवन ढंग तोरा सजनी तू तो
पं. तुषार दत्त : राग बिहाग - अब हूं लालन मैंका
पं तुषार दत्त : राग जोग - बात बनावत चतुर, कर ले बिचार गुण अवगुणन को
उस्ताद आमीर खान : राग मेघ - बरखा रितु आयी
पं. सी. आर. व्यास : राग गौरी - खबरिया लेवो मोरी
पं. विनायकराव पटवर्धन : राग ललिता गौरी - यार कटारी मानु प्रेम दी

पान २:
उस्ताद आमीर खान : राग ललित - तरपत हूँ जैसे जल बिन मीन
पं. शरच्चंद्र आरोळकर : राग कामोद - जाने ना दूँगी / राग खमाज टप्पा - चाल पैछानी हम दम त्यजे
विदुषी शैला दातार : राग देस - पिय कर धर देखो
पं. काशिनाथ बोडस : राग मारु बिहाग - बेगि तुम आओ सुंदरवा
विदुषी शुभा मुद्गल : राग हमीर - चमेली फूली चंपा गुलाब
पं मल्लिकार्जुन मन्सूर : राग गौड सारंग - सैंयो मै तो रचनी घड़ी वे जमाईयाँ
उस्ताद मुबारक अली खान : राग हमीर - मैं तो लागी रे तोरे चरनवा
पं. जितेंद्र अभिषेकी : राग जोग - जाने ना देहों एरी तोहे / मोरी मधैय्या सूनी लागी री
उस्ताद विलायत हुसैन खान : राग जोग - पिहरवा को बिरमायो / घरी पल छिन कछु न सुहावे
पं. यशवंतबुवा जोशी : राग गौड मल्हार - पियारे आवो जी हो जी महाराजा
पं. के. जी. गिंडे : राग रामदासी मल्हार - माधो मुकुंद गिरिधर गोपाल /कित से आया री
पं के जी गिंडे : राग शुद्ध मल्हार - धूम धूम धूम आये
पं के जी गिंडे : राग गौड मल्हार - दादुरवा बुलाई रे बादरिया
पं. गणपती भट हसनगी : राग मधुवंती - हूँ तो तोरे कारन आये बलमा / ए री आली कोयलिया बोले
उर्मिला श्रीवास्तव : कजरी - हमके सावन में झुलनी गढ़ाई दे पिया
वि. कोयल दासगुप्ता : कजरी - बरसन लागी बदरिया सावनकी
पं परमेश्वर हेगडे (कंठसंगीत) व पं. विश्वमोहन भट्ट (मोहनवीणा) : राग पूरिया धनाश्री - पायलिया झनकार मोरी / मुश्किल करो आसान
विदुषी वीणा सहस्रबुद्धे : राग पूरिया धनाश्री - आजरा दिन डूबा
रसूलनबाई : ठुमरी - अब आँगन में मत सोवो री
रसूलन बाई : दादरा - साँवरो से मेरो मन लागी रहे (ध्वनिमुद्रण : १९६१, लाहोर.)
पं वसंतराव देशपांडे : राग मारु बिहाग - उनहीसे जाय कहूँ मोरे मन की बिथा / मैं पतिया लिख भेजी
पं. वसंतराव देशपांडे : राग बिहाग - री मा धन धन री एरी मेरो लाल
पं. जसराज : राग देस संत तुलसीदास भजन (सुन्दरकाण्ड) - भरतभाई! कपि से उरिन हम नाही
उस्ताद लताफत हुसैन खाँ : राग सूर मल्हार - घननन नननन भोर भोर भोर गरजत आये / बादरवा बरसन
पं. गजाननबुवा जोशी : राग भूप - जब मैं जानी पिया की बात / जबसे तुमिसन लागली
पं. रमेश जुळे : राग अहिरी तोडी - निसदिन ध्यान धरत हूँ / हरी हरी नाम जप ले मनवा
पं. उल्हास कशाळकर : राग बसंत - कान्हा रंगवा न डारो
पं. उल्हास कशाळकर : राग अल्हैया बिलावल - कंथा मोरी जिन जाओ री
पं. उल्हास कशाळकर : राग बसंत बहार - बरजो ना माने एरी / साँवरे सलोने मदभरे नेहा लगाये

पान ३:
पं. उल्हास कशाळकर : राग देस - घन गगन घन घुमड कीनू
पं. उल्हास कशाळकर/विदुषी किशोरीताई आमोणकर : राग पट बिहाग - धन धन मंगल गावो
पं. वसंतराव देशपांडे : राग बिहाग : हो मां धन धन रे - री मा धन धन री एरी मेरो लाल
पं रामाश्रेय झा : राग चांदनी बिहाग - आज आनंद मुख चंद्र
पं. जितेंद्र अभिषेकी : राग बिलासखानी तोडी - त्यज रे अभिमान जान गुनिजन को
शबद गुरबानी, राग तोडी - मागउ दानु ठाकुर नाम
पं. ओंकारनाथ ठाकूर : राग सुघराई कानडा - माई मोरा कंथू बिदेसू
रसूलनबाई : दादरा - पनघटवा न जाबै
पं जसराज : राग जयवंती तोडी - आज मोरी अरज सुनो सिरताज
पं जसराज : भजन - युगल वर झूलत, दे गर बाँही
बेगम परवीन सुलताना : राग पहाडी - जा जा रे कगवा
विदुषी डॉ. प्रभा अत्रे : राग भैरवी दादरा - बैरन रतियाँ नींद चुराये
बेगम परवीन सुलताना : राग मलुहा मांड - सोही देत रबसे
उस्ताद आमिर खान : राग बिहाग - कैसे सुख सोवे नीन्दरिया
उस्ताद आमिर खान : राग अडाना - झनक झनक पायल बाजे
उस्ताद मोहम्मद जुमान : ठुमरी - भूल न जाना बलमवा
विदुषी अश्विनी भिडे देशपांडे : राग देस दादरा - छा रही कारी घटा
विदुषी दिपाली नाग : भैरवी ठुमरी - हँस हँस गरवा लगा ले
जोहराबाई आग्रेवाली : राग गौड सारंग - कजरा रे प्यारी तेरे नैन सलोने
पं. शौनक अभिषेकी : राग मधु रंजनी - एरी सखी आज मोहे श्यामसो मिलायके
पं. जसराज : सूरदास भजन - सबसे उंची प्रेम सगाई
पं जसराज : सूरदास भजन - ऐसो पत्र पठायो नृप वसंत
ध्रुपद गायिका पद्मश्री असगरी बाईंवरील - माहितीपट
उस्ताद आमिर खान : राग प्रिया कल्याण - सर्मद गम-ए-इश्क बुल-हवास रा न दिहन्द
उस्ताद आमिर खान : राग भटियार - निसदिन न बिसरत मूरत मुरारी
पं. श्रीकृष्णबुवा रातंजनकर : राग नारायणी - बमना रे बिचार सगुना
पं. रसिकलाल अंधारिया : राग नंद - बारी बारी पुनि-वारी जाऊं

पान ४:
पं. कुमार गंधर्व : राग लगन गंधार - सुध ना रही मोहे, अरी वो जब देखा तोहे
पं कुमार गंधर्व : राग केदार - बैठी हूँ अकेली पिया बिन रतियाँ
पं. कुमार गंधर्व : राग भीम - पार न पायो नाद भेद को, नैंकु गोपालहिं मोकौं दै री
पं कुमार गंधर्व : राग मिश्र कल्याण होरी - बरसाना में खेलत होरी
पं. कुमार गंधर्व : राग शुद्ध मल्हार - रितु बरखाई बरसन लागी
कुमार गंधर्व : राग भैरवी तुलसीदास भजन (रामचरितमानस - बालकाण्ड) - चतुर सखीं लखि कहा बुझाई
पं. कुमार गंधर्व : तुलसीदास भजन - अब लौं नसानी, अब न नसैहों
पं. कुमार गंधर्व : तुलसीदास भजन - सखि नीके कै निरखि कोऊ सुठि सुंदर बटोही
पं. कुमार गंधर्व : तुलसीदास भजन - मुनि पद कमल बंदि दोउ भ्राता। चले लोक लोचन सुख दाता॥
पं. कुमार गंधर्व : राग मारवा - सूझो ना कछु मोहे रे
पं. कुमार गंधर्व : तुलसीदास भजन (बालकाण्ड रामचरितमानस) - थके नयन रघुपति छबि देखें। पलकन्हिहूँ परिहरीं निमेषें॥
पं. कुमार गंधर्व : राग मारवा - मारु कवन काज कवन गत चलियो
पं. शशांक मक्तेदार : राग कोमल रिषभ आसावरी - मिलन को जिया मेरा चाहत है
पं. शशांक मक्तेदार : राग मियाँ की मल्हार, सूरदास भजन - सुमर नाम को मनही के मनमें
पं. शशांक मक्तेदार : राग शुद्ध सारंग - दिन दिन दिन आनंद करत
पं कुमार गंधर्व : राग हिंडोल - सोहे ना येरी
पं. अजय पोहनकर- बागेश्री - सखी मन लागे ना काउ जतन किया/जो हमने तुमसे बात कही
पं. अजय पोहनकर : राग बिलासखानी तोडी - घुंगरिया ठुमकत चाल चलत है/कोयलिया काहे करत पुकार
पं. अजय पोहनकर : राग सिंध भैरवी ठुमरी - सजनवा तुम क्या जानो प्रीत

विषय: 
Group content visibility: 
Public - accessible to all site users

पं. जसराज : राग सिंधभैरवी सूरदास भजन : ऊधौ जोग सिखावन आए

श्रृंगी भस्म अधारी मुद्रा, दै ब्रजनाथ पठाए |
ऊधौ जोग सिखावन आए ||

जो पै जोग लिख्यो गौपिनि कौं, कत रसरास खिलाए |
तबही क्यों ना जोग उपदेस्यौ, अधर सुधारस प्याए ||

मुरली छन्द सुनत मग कवनी सुतपती गृह बिसराए |
सूरदास संग छाडि श्याम को हम ही भए पछताए ||

(शेवटच्या कडव्याचे शब्द कुठे मिळालेले नाहीत, ते ऐकून जसे समजतील तसे लिहिले आहेत.)

पं. जसराज : राग अहिर भैरव : वंदना करो, अर्चना करो

वंदना करो, अर्चना करो।
इस धरा महान की, स्वर्ग के समान की ।।

भक्ति और भाव की, मिट्टी है सम्मान की।
भूमि है गरीब की, किन्तु स्वाभिमान की।।

वंदना करो...

विश्व से इसे प्रेम है, शांति से इसे प्यार है।
पर अधर्म के लिए धर्म की तलवार है।।

वंदना करो अर्चना करो...

पं. जसराज व पं. मणिप्रसाद : राग जोग धनाश्री (?) : सखी मोहे मीत बता

सखी मोहे मीत बता
उन बिन भई हैरानी

जब से पी परदेस
देस (?) कह्यो रे उनकी
सदारंग तुमही समझावे

संजीव अभ्यंकर- सूरदास भजन- मन ना भये दस-बीस

ऊधो, मन ना भये दस-बीस
एक हुतो सो गयो स्याम संग
को अराधे ईस?
मन ना भये दस-बीस |
इन्द्री सिथिल भयि केसव बिन
जो देहीबिन सीस |
आसा लागी रहती तन स्वासा
जीजो कोटी बरीस ||
तुम तो सखा हो स्याम सुंदर के
सकल जोग के ईस |
सूर हमारे नंद-नंदन बिन
और नही जगदीस ||

आज दोन मे ..

वसंताची गायकी पंरपरेच्या पालखीतून संथपणे मिरवीत जाणारी नाही.
दऱ्याखोऱ्यातून बेफाम दौडत जाणाऱ्या जवान घोडेस्वारासारखी त्याच्या गायकीची मूर्ती आहे. भर उन्हाळ्यात पलाशबनात अग्निपुष्पे फुलावी तशी ही गायकी. ती फुले पहायला उन्हाची तिरीप सोसणारी जवानी हवी.' - पु.ल. देशपांडे.....

वसंतराव देशपांडे ......एक पुण्यस्मरण ....या निमित्त एक अल्बम http://www.esnips.com/thumbnails.php?album=3619190&page=1 इथे ......अवश्य पहा .......

वसंतरावांनी गायलेल्या अनेक चीजांचा हा एक गुलदस्ता ...

पन्नास क्लिप्स ......पन्नास भरदार अनुभव ...

पं. जसराज : राग दरबारी कानडा लक्षणगीत : ऐसी दरबारी गुनिजन गावे

ऐसी दरबारी गुनिजन गावे
मल्हार कानर्‍हा को
रूप अलग अलग कर दिखावे |

अति कोमल गंधार स्वरूप जाको
आंदोलित धैवत उदधी जनावे
षड्ज तार रूप अत शांत स्वरूप
सा रे ग म प ध नी सा ध नी प ग म रे सा ||

पं. जसराज : राग अलहैया बिलावल : दैया कहां गये लोग

दैया कहां गये लोग
बृजके बसैया |

ना मोरे पंख ना पायल
और बल ना कोई सुधको लेवैया ||

पं. जसराज : राग जयजयवंती लक्षणगीत : जय जय सिद्धी कराली, दरस देत क्यूं नी मां मोरी

जय जय सिद्धी कराली
काली सुमिरू सिद्धिवन्ती |

सिरगंग द्वयकर त्रिशूल दमरूधर खड्गधरी
करहरप्रिया मां मधुवंती ||

रिखबवाहन महाकाल रसिका पञ्चान / पंचान
समवाहिनी मतृमहा मधुवंती ||

अजिता अपरजिता तू नित्या विजया
तू जया जयजयवन्ती ||

मध्यलय

दरस देत क्यूं नी मां मोरी
मन मंदिर में तू हि बिराजत
परख लेत क्यूं नी मां मोरी |

बिपदा है मोपे अति भारी
हरत लेत क्यूं नी मां मोरी |

कहनी थी सो कह दी माता
समझ लेत क्यूं नी मां मोरी ||

पं जसराज : कबीर भजन : उलटि जात कुल दोऊ बिसारी

उलटि जात कुल दोऊ बिसारी। सुन्न सहजि महि बुनत हमारी॥
हमरा झगरा रहा न कोऊ। पंडित मुल्ला छाड़ै दोऊ॥
बुनि बुनि आप आप परिरावौं। जहँ नहीं आप तहाँ ह्नै गावौं॥
पंडित मुल्ला जो लिखि दिया। छाड़ि चले हम कछू न लिया॥
रिदै खलासु निरिखि ले मीरा। आपु खोजि खोजि मिलै कबीरा॥

पं. जसराज : कबीर भजन : रितु फागुन नियरानी हो, कोई पिया से मिलाये

रितु फागुन नियरानी हो,
कोई पिया से मिलाये |
पिय को रूप कहाँ लगि बरनौं
रूपहिं माहिं समानी ||
जो रँग रँगे सकल छबि छाके
तन - मन सबहिं भुलानी ||
यों मत जाने यहिं रे फाग है
यह कछु अकथ - कहानी ||
कहे कबीर सुनो भई साधो
यह गती बिरलै जानी ||

उस्ताद रशीद खान : भजन : प्रभू की प्रीत जगी

प्रभू की प्रीत जगी
सत्य की प्रीत सगी |

झूठे सारे रूप तुम बिन
प्रेम की प्रीत सगी, प्रभू की प्रीत जगी ||

भक्ती प्रेम आनंद
आलि आज बँधि,
मैं तो जोगन बन गयी,
रह गयी जगी जगी
दास नारायण मन में
भक्ती की लगन लगी...
प्रभू की प्रीत जगी ||

बेगम परवीन सुलताना : ठुमरी मिश्र खमाज : रसिया मोहे बुलाये

हीच ठुमरी हैमन्ती शुक्ल यांच्या आवाजात

रसिया मोहे बुलाये
लिपट रहीं बाधा
ना आये देखिये राधा
कहीं वो चले ना जाये

रसिया....

सैंया बुलाये रे
रसिया मोहे बुलाये...

सुनी मुरली धुन
ब्याकुल रहे तन मन
नैना नीर बहाये

रसिया मोहे बुलाये

सुब्बलक्ष्मी जसराज .. गांधी जयंती कार्यक्रम... http://www.youtube.com/watch?v=0aZCWNUgfsw&feature=related सुमीरन करले, तुम चंदम हम पानी अशा अनेक रचना आहेत. १४.१८ ची क्लिप बघा.. त्या कोण सोनिया मॅडम आहेत का?

http://www.youtube.com/watch?v=-qYHLjfK3Wc

शिव तांडव स्तोत्र.... आशा, हरिहरन, वाडकर असे लिहिले आहे.. पण गायक कुणीतरी वेगळे वाटतात.

राग भूपकली ( कोमल धैवत भूप, कृस्ष्ण रंजिनी, प्रतिक्षा )

हे मधमाद सारंग मध्ये.. http://www.youtube.com/watch?NR=1&feature=endscreen&v=McrjgeI-PtI अप्रतिम चाल.

विदुषी शोभा मुद्गल : रागेश्री : कह न गये सैंया

कह न गये सैंया
कछु बाते घर आवन की |

औचक निकस गये महलन ते
'रामरंग' ना कहि पायो अपने मन की ||

विदुषी शुभा मुद्गल : रागेश्री : आयो अत मतवारो साँवरो

आयो अत मतवारो साँवरो
भोर ही हम हो आन जगायो
सौतन सगरी रैन रस पागे |

अलसानी अँखियाँ पहचानी
दरसपिया तोहे जानत हूँ
सौतन सगरी रैन रस पागे ||

विदुषी शुभा मुद्गल : राग तिलक कामोद : आवत घर आये

आवत घर आये
बालम मोरा सब मिल गावो बजावो |

नये नये फूलन के गजरे
गूंथ गूंथ गूंथ लाये
सब मिल गावो बजावो ||

विदुषी गंगूबाई हनगल : राग जयजयवंती : अचल रहो राजा

अचल रहो राजा
आकाश धरनी
जब तक इन्द्रपद राज |

ये मोतियन को सेहरा बिराजे
मोर मुकुट सिर साजे ||

विदुषी गंगूबाई हनगल : राग हिंडोल : लाल जिन कर हो

लाल जिन कर हो माई सन बरजोरी
मोरी अखियों में परत गुलाल |

मन बस करबेको मन हर लीनो
तोरे जिया में बसौं है ख्याल ||

पं. कुमार गंधर्व : राग बागेश्री : सखी मन लागे ना

सखी मन लागे ना
का हू जतन जिया मोरा
मानत नाहीं मोरा समझाय रही

ना जानूँ बालम मिले कब हूं
अबही मन प्रीत लगाय पछताय रही

श्वेता झवेरी : राग यमन :मैं बैरागी तुमरे दरस की प्यासी, सुन सुन प्रिय

मैं बैरागी तुमरे दरस की प्यासी
बन बन ढूँढू कल ना पाऊं
नैनन नीर बहाऊं
कित जाय बसे मेरे अनुरागी

द्रुत

सुन सुन प्रिय आवेरी (?)
श्याम सुहागिनी
मिटे ना मन की आस
दे कर दुख अगाध
श्याम मोहे छाडे

पं. तुषार दत्ता : राग बिहाग : कवन ढंग तोरा

कवन ढंग तोरा सजनी तू तो
इतरात उतरात बीती जात |

छांड मान उठ तेरी बला लेहूं
सोत लगा रही घात ||

पं. तुषार दत्त : राग बिहाग : अब हूं लालन मैंका

अब हूं लालन मैंका जुग बित गये
तुमरे मिलनको तरफ तरफ जियरा तरसे |

उमगे नैना बादरीसी झर लागी
जियरा तरसे दामिनी की कंद* मेहेरवा बरसे रे ||

* कंद चंद

पं तुषार दत्त : राग जोग : बात बनावत चतुर, कर ले बिचार गुण अवगुणन को

बात बनावत चतुर खिलारी श्याम
हम तो अनारी जानो ए री
अपनो चतुर समझ
झूठ कहत श्याम

द्रुत

कर ले बिचार गुण अवगुणन को
तबही बढेगा तेरो ग्यान
गुणीजन के संग बैठ बैठ नित
सांची गुणन को कर ले पेहचान

पं. सी. आर. व्यास : राग गौरी :खबरिया लेवो मोरी

खबरिया लेवो मोरी
भंवर बिच नाव |

मग जोवत ठाडो तुमरो गुनीदास
बेग मोरे पिया प्रान दरस देवो आन ||

पं. विनायकराव पटवर्धन : राग ललिता गौरी : यार कटारी मानु प्रेम दी

http://sarangi.info/vocal/patwardhan/

यार कटारी मानु प्रेम दी
आपे बोई सैंया लगन जैये |

आंख लडांदा लड भिड जांदा
आ मिल शोरी मदमाती ||

Pages