"अर्थ"

Submitted by mi manasi on 20 June, 2019 - 02:53

"अर्थ"

चांदण्याही विझलेल्या
चंद्रही जणू निजलेला
सावळले नभ सारे
गाती वाहते वारे
------------------तू कुठे?!!१

थेंब थेंब शिडकावा
कुठूनसा हळु व्हावा
वाऱ्याच्या कुणी पाठी
झाडे का झिंगताती
---------------------तू कुठे?!!२

कसली ही झाली नशा
धुंद जशा दाही दिशा
पंखाविन तरल तनु
अवकाशी झेपे जणु
---------------------तू कुठे?!!३

जिवनाचा अर्थ नवा
चराचरा उमगावा
या हळव्या क्षणी जरा
स्पर्श हवा प्रेमभरा
--------------------तू कुठे?!!४
. ..... मी मानसी

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