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काव्य स्वयंवर... फ़िरंगी.. ’बहू’ढंगी.. पद्य STY

Submitted by संयोजक on 2 September, 2008 - 17:26

काव्य स्वयंवर... फ़िरंगी.. ’बहू’ढंगी..

आटपाट नगर होतं... (मला कुणी सांगेल का हे आटपाट काय असतं?)

आटपाट कसलं हो चांगलं थाटमाट नगर होत, म्हणजे आपला राणीचा देश हो. त्या नगरात होती एक राजकन्या (एकच?..अर्र..)

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