बात एक रातकी

पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त – 9. बात एक रातकी (१९६२)

Submitted by स्वप्ना_राज on 10 March, 2018 - 06:20

मै गीतापर हाथ रखकर कसम खाता हूं की....
मिलॉर्ड, मेरे काबिल दोस्त.......
ताजीरात-ए-हिंद दफा ४०२........
इस बातका इस मुकदमेसे कोई ताल्लूक नही है युअर ऑनर
कानूनके हाथ बडे लंबे होते है
अदालतकी तौहीन करनेके जुर्ममे गिरफ्तार किया जायेगा.......
तमाम सबूत और गवाहोके बयानातको मद्द-ए-नजर रखते हुये ये अदालत इस नतीजेपर पहूंची है की......
ठहरिये जजसाहब......
सजा-ए-मौत सुनाती है.....टू बी हँग्ड टिल डेथ.....
ये अदालत मुलझीमको बाईज्जत बरी करती है....

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