तसल्ली ....

Submitted by चिन्गुडी on 9 February, 2017 - 03:55

आज आपने दी होती आवाज़, तो किए होते कुछ शिकवे गीले,

तेरी चौखट पे आए तो फिर शिकवा ही सही पर बात तो की होती

आँखे चुराना तो लाजमी है, कभी आँख मिलाकर भी तो देख ली होती

प्यार तो आज भी है हमें, क्या तुम्हें भी है

एक आखरी बार तसल्ली तो दी होती.

शब्दखुणा: 
Group content visibility: 
Public - accessible to all site users

मस्त !!