Submitted by चिन्गुडी on 9 February, 2017 - 03:55
आज आपने दी होती आवाज़, तो किए होते कुछ शिकवे गीले,
तेरी चौखट पे आए तो फिर शिकवा ही सही पर बात तो की होती
आँखे चुराना तो लाजमी है, कभी आँख मिलाकर भी तो देख ली होती
प्यार तो आज भी है हमें, क्या तुम्हें भी है
एक आखरी बार तसल्ली तो दी होती.
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मस्त जमलिये तसल्ली वाली गजल.
मस्त जमलिये तसल्ली वाली गजल.....
लय भारी आवडली गझल..!
लय भारी आवडली गझल..!
मस्त !!
मस्त !!
dhanyawad!!!
dhanyawad!!!