WORD ANTAKSHARI

Submitted by madhurasathe on 15 May, 2013 - 04:36

WORD ANTAKHSRI म्हणजे गाण्याच्या शेवटच्या शब्दापासून पुढील गाणे सुरु करायचे

जसे की ----

शाम ढले खिडकी तले तुम सिटी बजाना छोड दो...
छोड दो आचल जमाना क्या कहेगा...

विषय: 
प्रांत/गाव: 
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चन्दा हे तु, मेरा सुरज हे तु
ओ मेरी अखोंका तारा हे तु
ज़ीति हु मे बस तुझे देखकर
ईस टुटे दिल का सहारा हे तु

इतना ना मुझसे तु प्यार बढा,
के मै इक बादल आवारा,
कैसे किसीका सहारा बनु,
के मै खुद बेघर बेचारा.

ज्योत से ज्योत जगाते चलो प्रेम कि गन्गा बहाते चलो
राह मे आये जो दिन दुखी सबको गलेसे लगाते चलो
चित्रपट----सन्त ज्ञानेवर---सुधीर कुमार सुरेखा
सन्गीत----एल पी.
http://www.youtube.com/watch?feature=player_embedded&v=F8MvWF1hnn4

छोडकर तेरे प्यार का दामन ये बता दे के हम किधर जाये
हमको डर है के तेरी बाहोमे हम खुशिसे ना आज मर जाये
चित्रपत--वो कौन थी---मनोज कुमार्,साधना
सन्गीत--मदन मोहन
http://www.youtube.com/watch?feature=player_embedded&v=YlmgkK8a3uQ

बाहोके घेरेमे मौसम बहारका,
दीवाना लाया है, नजराना प्यारका,
चाहत तुम्हारी लायी, मौसम बहारका,
किस्मतसे पाया है, नजराना प्यारका.

निले निले अंबर पर चाँद जब छाये,
प्यार झलकाये, हमको तरसाये,
ऐसा कोई साथी हो, ऐसा कोई प्रेमी हो, प्यास दिल की बुझा जाये,
निले निले अंबर पर..

यार दिलदार तुझे कैसा चाहिये,
प्यार चाहिये के पैसा चाहिये,
पैसा क्या करना है, तेरे लिये जिना है तेरे लिये मरना है,
यार दिलदार तेरे जैसा चाहिये, प्यार के लिये मगर, पैसा चाहिये.

कभी कभी मेरे दिलमे ,
खयाल आता है,
के जैसे तुझको बनाया गया है
मेरे लिये,
तू अबसे पहले सितारोमे बस रही थी कही,
तुझे जमिपे,
बुलाया गया है मेरे लिये.