गझल

Submitted by मीनल कुलकर्णी on 11 March, 2017 - 13:16

मेरी आवाज उसके दिल तक पहोंचती होगी
वो तन्हाईयोंमे मेरे बारेमे सोचती होगी !!

चाहे रुबरु मिलना ना लिखा हो किस्मतमे
पर ख्ययालोमे मेरे रातभर जागती होगी

कितनाभी अनदेखा करे सामने सबके
अकेलेमे मेरी तसबीर मे झाँकती होगी

मेराही चेहरा नजर आता होगा उसको
जबभी आईनेमे खुदको निहारती होगी

एक मुस्कुराहट रखती होगी वो चेहरेपे, फिरभी
दुनिया बेवजह आँसूंओंको उसके गिनती होगी

हर एक मोड पे मेरा जिक्र आता होगा
वो हर बार गमकी गहराई को नापती होगी

मेरी हर साँसपे आजभी उसीका ही हक है
शायद वो इस बात को पहलेसेही जानती होगी

टूटे दिल के साथ भी जिये जा रहे है हम
जरुर वो खुदासे मेरे जिने की दुवा मांगती होगी
मेरी आवाज उसके दिल तक पहोंचती होगी
वो तन्हाईयोंमे मेरे बारेमे सोचती होगी !!
-मीनल

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गझल सुंदर आहेच. पण मला एक प्रश्न आहे गझल आणि कविता ह्यात काय फरक आहे सांगाल का प्लीज?? बाकी तुम्ही नेहमीच छान लिहता.

Akshayji...I m not expert in this ...whatever i feel i write...so i don't know the difference