राख....(शायरी)

Submitted by ShwetaAmit on 17 February, 2017 - 13:21

दिल जलाने के हज़ार बहाने ढूंढे

कभी शायरी में कभी पैमाने में ढूंढे

उन आँखोमे वो कशिश देखी

बहाने क्या, जमाने जलके राख होते देंखे!!

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