संतसंग

Submitted by दत्तात्रय साळुंके on 26 July, 2017 - 14:17

संतसंग

संताचे सांगाती |
दोष विलोपत |
निवळीले चित्त |
परीसस्पर्शे ||

संत वाणी होता |
विठू पाघोळला |
सखा माझा जाला |
हृदयीचा ||

दंभ जळू जाता |
मिटले मीपण |
मऊ होइ मन |
मेणाहून ||

सोयरे सगळे |
नोहे दुजाभाव |
प्रेमाचाच भाव |
सर्वठायी ||

पवित्र हा देह |
करीती तत्काळ |
पुण्याचा सुकाळ |
सर्वकाळ ||

हारपली भूक |
संसार सुखाची |
होय परमार्थाची |
पराकोटी ||

रोज शिकवोनी |
शहाणे करीता |
पावलो मी आत्ता |
जगजेठी ||

नको मोक्ष मुक्ती |
आता पंढरीनाथा |
तुझे पायी माथा |
राहो सदा ||

दत्तात्रय साळुंके

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