Submitted by सत्यजित... on 13 April, 2016 - 14:23
सत्य की आभास तू!
मोगऱ्याचा श्वास तू!
चंद्रकोरीवर उभी...
धुंद तारा खास तू!
चालता गजगामिनी...
थांबता मधुमास तू!
मौन इतके लाघवी...
बोलण्याचा ध्यास तू!
सर्व त्याला लाभले...
लाभलेली ज्यास तू!
—सत्यजित
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व्वा क्या बात है! छान,सुंदर!
व्वा क्या बात है!
छान,सुंदर!
मस्त ! मस्त !!
मस्त ! मस्त !!
हाय.. क्या बात है
हाय.. क्या बात है
सर्व त्याला लाभले... लाभलेली
सर्व त्याला लाभले...
लाभलेली ज्यास तू!
वाह...
विलासरावजी,बाळ पाटिलजी
विलासरावजी,बाळ पाटिलजी धन्यवाद!
दाद,वैभवजी...धन्यवाद!
अफलतुन.
अफलतुन.
धन्यवाद ऑर्फिअस!
धन्यवाद ऑर्फिअस!
मस्तच...गोळीबंद शब्दरचना .
मस्तच...गोळीबंद शब्दरचना .
खूप धन्यवाद माणिकजी!
खूप धन्यवाद माणिकजी!
वाह...!
वाह...!