Submitted by विशुभाऊ on 24 October, 2013 - 01:41
गैरोंकी चाहत मे मुहाजिर बन बैठे
आपनोंकी आखों मे अंगार बन बैठे ....
मजहब के नाम पे राह चले तो थे
आपनेही घर मे महेमान बन बैठे ....
इलहा की मर्जी पाने फितुर कर गए
तेरेही दरबार मे गुन्हेगार बन बैठे ....
अल-शुकर बनने की चाहत रखते थे
खुद ही खुदमै काफिर बन बैठे ....
ये गुमन आलम से 'अझाद' कर दे
हिन्दोस्तां मे देशद्रोही ना बन बैठे ....
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मुहाजिर (भरतीय मुसलमानांना ह्या नावाने पाकिस्तानात झिटकारले जाते), इलहा (परमेश्वर,अल्ला), फितुर (दोष, चुक), अल-शुकर (जो काफिर काफिर नाही किंवा आस्तीक), काफिर (नास्तीक), गुमन (भ्रम), आलम (विश्व). . .
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