आत्मविहीत

Submitted by अज्ञात on 1 August, 2013 - 01:48

एकेक शहारा असा कसा
प्राजक्त फ़ुलांचा वसा जसा
सुमने निर्मळ गंधाळ पवन
अंतरी मदन कावरा पिसा

भावना उरी स्पर्श ही 'न' सा
लहरी वलये नित सुप्त पसा
संक्रमे रुधिर ज्वर शिखांतकी
क्षण क्षण अनुभव रथ भावुकसा

कामना वेदना आवेदना
हुरहुर वेणा सुख संवेदना
नत लज्जेसवे रत रोमांचिका
ही आत्मविहीत सय स्वप्नांकिका

……………… अज्ञात

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