बिखरा हुवा

Submitted by मयुरेश साने on 29 May, 2013 - 03:17

बिखरा हुवा था मै भी ये और बात वरना
अपना तो आई ना था टूटा हुवा हमेशा

जैसा नसीब मै था वैसा हुवा हमेशा
मिलता हे कब किसिको सोचा हुवा हमेशा

बात कोई इश्क मै बनती नही
क्या करेंगे आजमा कर आपको

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