असच काही सुचलेलं

असच काही सुचलेलं .........

Submitted by रीया on 27 April, 2012 - 06:02

असच काही सुचलेलं .........

तू जवळ असलास की
शब्द माझे ओठावरच विरून जातात
खरचं.....
स्पर्शालाही भाषा असते
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तुझी आठवण...
नक्की म्हणू काय?
चंद्र म्हणू तर दिवसाचा विरह
सूर्य म्हणू तर रात्रीचा.....
तुझी आठवण म्हणजे माझा श्वास
तो थांबला की मी संपले
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आजकाल डोळे माझे
मलाच दगा द्यायला लागलेत
हृदयामधल्या गोष्टी सरळ

गुलमोहर: 
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