अक्षय तृतिया श्राध्द विधी

Submitted by एक अबोली on 3 May, 2013 - 13:41

मला अक्षय तृतियेला करयच्या श्राध्दाचा सविस्तर विधि कुणी सांगु शकेल का?

Groups audience: 
Group content visibility: 
Public - accessible to all site users

माझ्या माहिती प्रमाणे अक्षय्य तृतीयेच्या श्राद्धात तिलतर्पन्ण आणि उदकुंभदान हे प्रमुख आहेत .पितृ -तृप्तीसाठी त्यांना उदक /अर्घ्य देणे ,तसेच त्यांना वर्षभर पुरेल असा पाण्याचा साठा म्हणून पाण्याने भरलेला तांब्या दान करणे असा विधी असतो . पिंडप्रदान करतात किंवा नाही याबद्दल माहीत नाही. धन्यवाद !

मंदारजी,

हा विधी मला स्वतःला करता येईल का ?( ब्राह्मण न बोलावता.) या साठी तंत्र आणि मंत्र तुम्हालफ/ आणखी कोणाला या धाग्यावर देता येतील का ?

दान करायच्या गोष्टी यात पंखा असतो का ?

या संदर्भात आणखी धार्मीक माहिती/पौराणीक माहिती दिल्यास तसेच हे कुणी कोणासाठी करावे ( सर्व पितर की फक्त मृत माता/पिता ) या बाबतही लिहावे.

या वर्षी अक्षय तृतीया १३ मे ला येते हे बरोबर आहे ना ?

अक्षय फलदायी अक्षय तृतिया
अक्षय फलदायी अक्षय तृतिया
13 मई 2013
वैशाख शुक्ल तृतिया की महिमा मत्स्य, स्कंद, भविष्य, नारद पुराणों व महाभारत आदि ग्रंथों में है। इस दिन किये गये पुण्यकर्म अक्षय (जिसका क्षय न हो) व अनंत फलदायी होते हैं, अतः इसे ʹअक्षय तृतियाʹ कहते हैं। यह सर्व सौभाग्यप्रद है।
यह युगादि तिथि यानी सतयुग व त्रेता युग की प्रारम्भ तिथि है। श्रीविष्णु का नर-नारायण, हयग्रीव और परशुरामजी के रूप में अवतरण व महाभारत युद्ध का अंत इसी तिथि को हुआ था।
इस दिन बिना कोई शुभ मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य प्रारम्भ या सम्पन्न किया जा सकता है। जैसे – विवाह, गृह-प्रवेश या वस्त्र-आभूषण, घर, वाहन, भूखंड आदि की खरीददारी, कृषिकार्य का प्रारम्भ आदि सुख-समृद्धि प्रदायक है।
प्रातःस्नान, पूजन, हवन का महत्त्व
इस दिन गंगा-स्नान करने से सारे तीर्थ करने का फल मिलता है। गंगाजी का सुमिरन एंव जल में आवाहन करके ब्राह्ममुहूर्त में पुण्यस्नान तो सभी कर सकते हैं। स्नान के पश्चात प्रार्थना करें-
माधवे मेषगे भानौ मुरारे मधुसूदन।
प्रातः स्नानेन मे नाथ फलदः पापहा भव।।
ʹहे मुरारे ! हे मधुसूदन ! वैशाख मास में मेष के सूर्य में हे नाथ ! इस प्रातः स्नान से मुझे फल देने वाले हो जाओ और पापों का नाश करो।ʹ
सप्तधान्य उबटन व गोझरण मिश्रित जल से स्नान पुण्यदायी है। पुष्प, धूप-दीप, चंदन, अक्षत (साबुत चावल) आदि से लक्ष्मी नारायण का पूजन व अक्षत से हवन अक्षय फलदायी है।
जप उपवास व दान का महत्त्व
इस दिन किया गया उपवास, जप, ध्यान, स्वाध्याय भी अक्षय फलदायी होता है। एक बार हलका भोजन करके भी उपवास कर सकते हैं। ʹभविष्य पुराणʹ में आता है कि इस दिन दिया गया दान अक्षय हो जाता है। इस दिन पानी के घड़े, पंखे, ओले (खाँड के लड्डू), पादत्राण (जूते-चप्पल), छाता, जौ, गेहूँ, चावल, गौ, वस्त्र आदि का दान पुण्यदायी है। परंतु दान सुपात्र को ही देना चाहिए। पूज्य बापू जी के शिष्य पूज्यश्री के अवतरण दिवस से समाज सेवा के अभायानों में नये वर्ष का नया संकल्प लेते हैं। अक्षय तृतीया के दिन तक ये अभिय़ान बहार में आ जाते हैं, जिससे उन्हें अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
पितृ-तर्पण का महत्त्व व विधि
इस दिन पितृ तर्पण करना अक्षय फलदायी है। पितरों के तृप्त होने पर घर में सुख-शांति-समृद्धि व दिव्य संतानें आती हैं।
विधिः इस दिन तिल एवं अक्षत में श्रीविष्णु एवं ब्रह्माजी को तत्त्वरूप से पधारने की प्रार्थना करें। फिर पूर्वजों का मानसिक आवाहन करने की भावना करते हुए धीरे से सामग्री किसी पात्र में छोड़ दें तथा भगवान दत्तात्रेय, ब्रह्माजी व विष्णु जी से पूर्वजों की सदगति हेतु प्रार्थना करें।

आशीर्वाद पाने का दिन
इस दिन माता-पिता, गुरुजनों की सेवा कर उनकी विशेष प्रसन्नता, संतुष्टि व आशीर्वाद प्राप्त करें। इसका फल भी अक्षय होता है।
अक्षय तृतीया का तात्त्विक संदेश
ʹअक्षयʹ यानी जिसका कभी नाश न हो। शरीर एवं संसार की समस्त वस्तुएँ नाशवान हैं, अविनाशी तो केवल परमात्मा ही है। यह दिन हमें आत्मविवेचन की प्रेरणा देता है। अक्षय आत्मतत्त्व पर दृष्टि रखने का दृष्टिकोण देता है। महापुरुषों व धर्म के प्रति हमारी श्रद्धा और परमात्मप्राप्ति का हमारा संकल्प अटूट व अक्षय हो – यही अक्षय तृतीया का संदेश मान सकते हो।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, अप्रैल 2013, पृष्ठ संख्या 23, अंक 244

http://www.ashram.org/Publications/ArticleView/tabid/417/ArticleId/4140/...

अबोली,

पहिलेच आहे, म्हणजे जे गेले आहेत त्या दिवशीची तिथी आणी ह्या अक्षय तृतियेची तिथी ह्या दोन्हींमध्ये कालामाना ( पंचांगा ), प्रमाणे ( not by regular english calender ), बरोबर एक वर्ष झाले असणे अत्यंत महत्वाचे आहे.

असे आहे का ?

जावुन १ वर्ष ९ महिने झालेत.परब्रम्ह तुम्हाला विधि माहिती असल्यास प्लीज लवकर सांगा.उसगावात करता येइल का?ते पण सांगा.

Aboli,

Extremely sorry for late reply.

As far as I know it should be done exactly after one year, if its not done that way, then I think there is another additional procedure for it.

Usgaon ? it can be done any where in the world.

1). follow the link given by Mr. Mandar Katre for it.

2). The person who will do this will have to stand in water ( till knee level only ), facing south & perform all the procedure. Water can be of a lake, river, sea any of these.
If not possible then sit facing south & perform.

Time to be between 12.00p.m. till 02.00 p.m. only - usually one has to start n finish within this time frame.

3). Enter the water by facing East ( even if one has to walk backwards doesn't matter ), turn towards right side & stop facing south.

4). when finished, turn clock wise again till East is faced again & come out of the water.

May the soul be blessed by Bhagvan MahaVishnu.