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Gsumit
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| | Wednesday, October 24, 2007 - 4:16 pm: |
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कोणी हाय काव चांभारगोंद्याचं... हसु नका वो नावाला, ते आमच्या शिरिगोंद्याच मुळचं ओरिजिनल नाव हुतं असलं तर सांगा, आम्ही इथेच पडलेलो असतो मायबोलीवर... भेट होत जाइल...
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| मायबोली |
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| चोखंदळ ग्राहक |
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| महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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| व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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| पांढर्यावरचे काळे |
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| गावातल्या गावात |
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| तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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| आरोह अवरोह |
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| शुभंकरोती कल्याणम् |
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| विखुरलेले मोती |
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