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Khajur
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| | Friday, January 25, 2008 - 5:08 am: |
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झक्की, नमस्कार! काय म्हणताय, कसे अहात? बरेच वर्षानी बोलण होत आहे. गार्डन स्तेट काय म्हणतय? शार्लोट मधे आपला मित्र परीवार आहे का हो? खजुर.
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Anilbhai
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| | Friday, January 25, 2008 - 12:42 pm: |
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काय खजुर, ओळख आहे का?
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Khajur
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| | Monday, January 28, 2008 - 3:48 am: |
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अनील भाई, नमस्कार! आपण कसे आहात? सध्या कुथे आहात? झाक्की च्या उत्तराची वाट पाहत आहे.. आपला इतर चमू शोधत आहे... खजुर.
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Anilbhai
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| | Monday, January 28, 2008 - 3:27 pm: |
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मी ठिक रे. अजुनही बारात आहे. 
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त्याला 'बारा' कसे कळणार बुवा (एक भा. प्र....)
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Anilbhai
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| | Tuesday, January 29, 2008 - 8:23 pm: |
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अरे तो आला होता की बारात ये.वे.ये.ठी. ला. विसरलास तुझा पहिला ये.वे.ये.ठी. 
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Mpa
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| | Thursday, February 28, 2008 - 8:53 pm: |
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aamhee bareech varsha "Charlotte" madhe rahaato aahot. tumhaalaa kaahi madat havee asel tar jarur saangaa.}
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Khajur
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| | Friday, April 11, 2008 - 9:25 am: |
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Mpa, Charlotte madhe marathi mandal aahe ka? khajur.
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Khajur
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| | Friday, April 11, 2008 - 9:28 am: |
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अनीलभाई, ये, वे, ये, ठी मला नाही कळ्ल हो.. जरा सवीस्तर सान्गा ना... खजूर.
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हे सदर आता खालील ठिकाणी हलवण्यात आले आहे. /node/1755
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हितगुज दिवाळी अंक २००७
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| मायबोली |
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| चोखंदळ ग्राहक |
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| महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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| व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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| पांढर्यावरचे काळे |
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| गावातल्या गावात |
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| तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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| आरोह अवरोह |
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| शुभंकरोती कल्याणम् |
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| विखुरलेले मोती |
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| हितगुज दिवाळी अंक २००६ |
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