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Krishnag
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| Monday, March 31, 2008 - 3:46 am: |
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सुप्रभात सकल श्रीकर्स.. केदार, नमस्कार!
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सुप्रभात किशोर, केदार, शैलू आणि आगामी
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Zakasrao
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| Monday, March 31, 2008 - 6:13 am: |
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सुप्रभातम सकळ श्रीकर्स कसे आहात सगळे? हाय उपस्थित आणि आगामी!
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Itgirl
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| Monday, March 31, 2008 - 6:27 am: |
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सुसकाळ सगळे शेवटची ४ मिनिटे उरली आहेत सकाळची
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Krishnag
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| Monday, March 31, 2008 - 6:37 am: |
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नमस्ते. इन्द्रदेवा, झकास, आयटी.. झकोबा, आज आपल्याला इकडे यायला वेळ मिळाला तर!!
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Kedar123
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| Monday, March 31, 2008 - 8:30 am: |
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नमस्कार कृ, इंद्रा आय टी झकोबा जेवण झाल का? माझ चाललय? मेनू काय ते सांगणार नाही
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Itgirl
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| Monday, March 31, 2008 - 8:34 am: |
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केदारचा मेनू: केळी आणि सफरचंदं कदाचित सगळं गिळायला एखादी कॉफी
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Kedar123
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| Monday, March 31, 2008 - 8:44 am: |
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अगदी अगदी बर्बर ग. फक्त कॉफी प्यायचीये आजून
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Krishnag
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| Monday, March 31, 2008 - 8:55 am: |
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सुदुपार, झाली का जेवणं सर्वांची? माझे आताच आटोपले… पोळी, मेथीची भाजी, बटाटा रस्सा, वरण, भात (जिर्याची फोडणी घातलेला), पापड, गाजर, कांदा, टोमॅटो, आणि बालूशाही!! आयटी, तुझे काय? ज़्युस की कॉफी फक्त?
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Itgirl
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| Monday, March 31, 2008 - 9:02 am: |
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नाही, हे - पुर्या, पालक पनीर, पुलाव, दही काकडीचे रायते, दही थोड्या वेळाने कॉफी पिईन म्हणते
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Kedar123
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| Monday, March 31, 2008 - 9:13 am: |
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बालू शाही म्हणजे काय भानगड असते वा कृ आणि आय टी मस्त मेनू माझा मेनू बदलतो थोडा शाही सफरचंद आणि रेशमी केळी
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Krishnag
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| Monday, March 31, 2008 - 10:12 am: |
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नाही, हे - पुर्या, पालक पनीर, पुलाव, दही काकडीचे रायते, दही >>>>>> अरेच्चा आज सोमवार नाहिये का? ह्या कामाच्या दबावाखाली आज काल वार सुद्धा समजत नाही मला!!! केदार, बालूशाही नाही खाल्लीस कधी मुंबईत?
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Manee
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| Monday, March 31, 2008 - 1:39 pm: |
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नमस्कार मंडळी, कस्काय? नसेलच इथे कुणी आत्ता
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Kedar123
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| Tuesday, April 01, 2008 - 3:19 am: |
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सुप्रभात मनी आणि आगामी कृ- बालू शाही नाही खाल्ली कधी. ऐकली पण नाही कसे आहात सगळे
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Admin
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| Tuesday, April 01, 2008 - 3:39 am: |
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हे सदर आता नवीन मायबोलीवर हलवण्यात आलेले आह. कृपया पुढील लेखन या दुव्यावर करावे. /node/1587
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हितगुज दिवाळी अंक २००७
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मायबोली |
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चोखंदळ ग्राहक |
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महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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पांढर्यावरचे काळे |
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गावातल्या गावात |
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तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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आरोह अवरोह |
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शुभंकरोती कल्याणम् |
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विखुरलेले मोती |
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हितगुज दिवाळी अंक २००६ |
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