जाम

Submitted by sumitm on 28 July, 2020 - 02:59

जिंदगी के गलत 'जाम' मे उलझे है हम!
प्याले मे ढुंडने चले थे, पर सुबोह शाम रस्तो पे खोये है हम!!

ज़िन्दा तो है जरुर, पर जीन्दगी कुछ नाराज सी है हम पर!
भीड मे ही तो रहते है, पर तनहाई मंडराती है हर लम्हे पर!!

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