Submitted by मी कल्याणी on 28 April, 2020 - 21:03
मन अबोल मोगरा
मन गंधित ओंजळ...
मन पहाट गोडवा
मन निर्मोही दरवळ...
मन सुरेल भूपाळी
मन अभंग एकतारी ....
मन डोई वृंदावन
मन टाळ नि चिपळी....
मन पहाट शाश्वत
मन निलरंगी सांज..
मन सावळा आभास
मन कृष्णमय रात..
लय जुळता सख्याशी...
मन आनंद सोहळा...
गन्ध स्वर श्यामरंगी
मन साकार सावळा...
-कल्याणी
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खूपच मस्त.
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वाह।
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धन्यवाद
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