बहावा

Submitted by बिपिनसांगळे on 12 May, 2019 - 12:52

बहावा
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घोस लगडले सोनसळी
मन खुलते या तरुतळी
वसंताची बहार ही
झाली टपोर मनकळी

की पांघरला
पिवळा शेला
की सोनसाज
याला केला

रूप देखणे याचे
वरती सोन झळाळी

तो करतो कसा
नजरबंदी
सोनपिवळी
गारुड धुंदी

सय कवळ्या प्रेमाची
देई शहाणा कवळी
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बिपीन

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