अबोली

Submitted by कविनारायण on 22 August, 2018 - 07:18

स्नेह बंधांची माया ओली,
सुप्त स्मित मुक्त भावनांची तू समुद्र खोली,

अबोल शब्दांची बेधुंद बोली,
मकरंद फुलवतेस बोलूनी तरी म्हणवतेस अबोली !

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