आखिर तुने पाया तो क्या पाया
क्यू डरता है इन्सान तू
सच्चाई कि राह चलना
क्यू बदली तुने अपनी सच्ची काया
आखिर तुने पाया तो क्या पाया
गलत काम करके कोई आगे चला
तो सही करके कोई पीछे रहा
दुनिया मे चलती है यही मोह माया
आखिर तुने पाया तो क्या पाया
भलाई का ध्यान होते हुये भी
बुराई का सहारा लिया
साथ मे तेरे था तेराही काला साया
आखिर तुने पाया तो क्या पाया
जीत हि नहि होती हमेशा
बडे बडे को भी हारना पडा
जंग खेलकर कभी ना हुआ कुछ नया
आखिर तुने पाया तो क्या पाया
रंग खून का सबका एक हि तो है
क्यू जात धर्म के नामपर बटवारा किया
तेरा खुदका क्या है तुने क्या लाया
आखिर तुने पाया तो क्या पाया
महाभारत कि रणभूमी मे
असत्य हि हारता गया
सबको मिटाकर आखिरी सत्य हि आगे आया
सोच ले इन्सान आखिर तुने पाया तो क्या पाया