जन्नत

Submitted by मण - मानसी on 18 July, 2017 - 08:48

सब कूछ दिया हे जिंदगी ने,
अब कुछ ना मांगू,
बहोत सुख मिले, बहोत दुख मिले,
पर कुछ तो आपना मांगू,
बहोत जी लिये अपने लिये,
अब तो दुसरो के लिये कुछ मांगू,
बहोत सहे लिये ए गम के कांटे,
अब तो बहारो के फूल मांगू,
बहोत देख ली ए अज्नबी दुनिया,
मा पापा अब तो आपके कदमो की जन्नत मांगू,
अब तो आपके कदमो की जन्नत मांगू !!

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