व्यासंग तोकडे...

Submitted by सुशांत खुरसाले on 8 September, 2013 - 11:32

व्यासंग तोकडे। सिद्धांताचे खडे।
मन हे बागडे।पचवीत।।

क्षणांचा धुराळा। क्षणाचा उमाळा।
क्षणाचा पाचोळा।क्षणार्धात।।

चालते ही दिंडी।आयुष्याच्या खिंडी।
शब्द हे पाखंडी।नाचवीत।।

वृत्तीने पलंग।जातीने भणंग।
विश्वासाचे अंग। तुडवीत।।

आत्मा शब्दवेडा। अर्थाशी बखेडा।
स्वार्थाच्या उजेडा।उजाळतो।।

वाट ही अगाध।कसला हा नाद?
अशानेच बाद।जन्म सारा।।

ध्यास मृगजळ। हलकीशी झळ।
उरलेले बळ। नासवीत ।।

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