चीजांचे शब्द आणि अर्थ : धागा क्रमांक - २

Submitted by गजानन on 26 June, 2011 - 10:27

बर्‍याचदा बंदिशीचे शब्द आणि त्यांचे अर्थ कळत नाहीत म्हणून हा धागा.

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चीजांचे शब्द आणि अर्थ : धागा क्रमांक - १
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चीजांचे शब्द आणि अर्थ : धागा क्रमांक - ३

चीजांच्या पोष्टींचे दुवे :

पान १ :
उस्ताद अमीर खान : राग अहिर भैरव - (विलंबित) : जाग रे बंदे, (द्रुत) : पिया परवीन
पं. अजय चक्रवर्ती : राग देशकार / देसकार - (विलंबित) आयी री बदरिया सावन की, (द्रुत) हरी हरी नाम रटत मन मेरे
पं. मल्लिकार्जुन मन्सूर यांच्यावरील - माहितीपट
पं. मल्लिकार्जुन मन्सूर : मिश्र भैरवी - डारो ना डारो ना मोपे, मत जा मत जा मत जा जोगी (मीरा भजन)
अनिता सेन : होरी - ऐसे होरी ना खिलावो
बेगम अख्तर : कजरी - घिर कर आये बदरिया राम
गुंदेचा बंधू : राग पूरिया धनश्री - आयो मन हाथ तब
कुमार गंधर्व : निर्गुणी अवधूत भजन - आव कलंदर केसवा
परवीन सुलताना : राग श्याम कंस - छोटा ख्याल : कैसे कहूँ मनकी बतियां
पं. जसराज : राग नानक मल्हार - (द्रुत) : बरखा न भावे
पं जसराज : राग सिंध भैरवी - गुरु आग्या में निसदिन रहिये
पं जसराज : राग भैरवी - ख्वाजा करम की नजर कीजे हम पे
पं. जसराज : राग भैरवी - कहो जी तुम कैसे बने हो
पं जसराज : राग भैरवी (नानक देव यांचे भजन) - सुमिरन कर ले मेरे मना
इलायाराजा यांनी केवळ तीन स्वरांच्या साहाय्याने केलेला - राग-प्रयोग
पं छन्नुलाल मिश्रा : राग मियां की मल्हार - (विलंबित) सखी सावन आए, (द्रुत) आलि उमडी घन घुमडी गरजे
सलामत अली व नजाकत आली खान : राग सिंध भैरवी ठुमरी - मोरे नैना लगेगी बरसात
उ. फतेह अली खान : राग बिहारी ठुमरी - कैसे गुजारू सारी रैना
उ. फतेह अली खान : राग दुर्गा बंदिश - मैने वोही रंग रंगाया
पं. जसराज : भैरवी, मीरा भजन - माई साँवरे रंग राँची भाग १ (सवाई गंधर्व महोत्सवातील ध्वनिमुद्रण)

पान २ :
मन कुंटो मौला - मन कुंटो मौला
पं. भीमसेन जोशी : कबीर भजन - सब पैसेके भाई; नाम जपन क्यों छोड दिया
आबीदा परवीन : अमीर खुस्रो सूफी काव्य - मन कुंटो मौला भाग
मालिनी राजूरकर : राग किरवाणी - अब तो भइ भोर जागो मोरे लाल
उस्ताद रशीद खान : राग किरवाणी ठुमरी - तोरे बिना मोहे चैन नहीं ब्रिज के नंदलाला
सिध्देश्वरी देवी : कजरी/ चैती - जब सुधि आवे रामा
शोभा गुर्टू : भैरवी दादरा - जुलम भयो नणदी सैंया नहीं आये
पं दिनकर कैकिणी : पूरन दास भजन - ए मेरे पूरन पिछले भाग री
कुमार गंधर्व : राग बागेश्री - टेसुल बन फुले
पं. कुमार गंधर्व : भजन - कैसे आऊं रे
पं कुमार गंधर्व : राग बागेश्री - फेर आयी मोरा अंबुवापे
किशोरी आमोणकर : राग बागेश्री द्रुत बंदिश - आज सह्यो ना जाये बिरहा
राग - ललित - छोटा ख्याल (तीनताल मध्यलय) - पिया पिया करत पपीहरा
राग - दरबारी कानडा - बडा ख्याल (विलंबित एकताल) - मुबारक बादिया शादियाँ तोहे दीनी अल्लाही रसूल मुबारक
राग - भैरवी - टप्पा - पं. विजय कोपरकर - नजरा दिलबहार वे मियाँ गुल फूले गुलचमन फुली सेवती
पं. अजय चक्रवर्तीन्नी गायलेलं अहिर भैरव रागावर आधारीत - गुरु गोबिंद सिंघांनी लिहिलेलं पद

पान ३ :
उस्ताद रशीद खान : राग बागेश्री - ए पिहरवा गरवा लागे रे
उस्ताद रशीद खान व उस्ताद शाहिद परवेझ जुगलबंदी : राग बागेश्री - बलमा मोरी तोरे संगवा
उस्ताद रशीद खान (हिंदुस्तानी) व टी. एम. कृष्ण (कर्नाटकी) जुगलबंदी : राग देश - करम कर दीजे ख्वाजा मोइनुद्दीन आणि श्रीराम श्रीमुख श्यामम् भाग १
उस्ताद रशीद खान : राग गुणकली दादरा - सुमिरन शंकर
शोभा गुर्टू व गिरिजा देवी जुगलबंदी : राग कौशी ध्वनी दादरा - नजरीया लाग रही किस ओर
पं भीमसेन जोशी : राग जोगिया - पिया के मिलन की आस
पं. कुमार गंधर्व - मुख तेरो कारो काहे हरी?
टप्पा : राग काफी - कल्पना झोकरकरांनी - हो मियाँ जानेवाले
टप्पा : राग तिलंग - मालिनी राजूरकर - यार दावोनी झारा नेणोंदा सुनो मियाँ माण्डा प्यारा लगदा
राग : श्री कल्याण - मुख तेरो कारो, काहे हरी

पान ४ :
राग भैरवी : मालिनी राजूरकर - कैसी रे भलाई, रे कन्हाई
ओंकार दादरकर - तोडी - ए बाजो रे मोहम्मदसा घर आनंद बधावा
मालिनी राजूरकर : राग मियां की तोडी - लाल मनावन मैं चली; कान्हा करत मोसे रार ए री माइ
मालिनी राजूरकर : राग सालग वराळी - आज बधाई बाजे नंद महलमों सखी; सुमर साहेब सुलताने आलमन / सुमिर साहेब सुलताने आलमन
शुभा मुद्गल : राग यमन - मेरा मन बांध लीनो रे; नेहा कैसे लागा हो मोरा
पं भीमसेन जोशी : राग शुध्द कल्याण - मंदर बाजो रे.... बाजो रे घनेरा
उस्ताद अमीर खान : राग शुध्द कल्याण - ए करम करो कृपालु दयालु
पं भीमसेन जोशी : राग शुध्द कल्याण - मंदल बाजो रे बाजो रे ; अत सुख हो जियरवा
पं अजय चक्रवर्ती व पं बिरजू महाराज जुगलबंदी : राग भैरवी - बरजोरी नाही रे कन्हाई
उस्ताद लताफत हुसैन खाँ : राग पटदीप / पटदीपकी - बाबूजी मोरे अंगनवा आवो जी
पं. डी. व्ही. पलुसकर बुवा : राग दरबारी कानडा - झनक झनकवा मोरे बिछुवा
सूरदासांचं भजन - दीनन दुख हरन देव संतन हितकारी

पान ५ :
सत्यशील देशपांडे : राग धानी - मोरी कर पकरत गयी बंगरी मुरक
सत्यशील देशपांडे : राग बिलासखानी तोडी - बलम मोरी छांडो कलैया
सत्यशील देशपांडे : राग सूर मल्हार - डर लागे उंची अटरिया
मालिनी राजूरकर : राग केदार - बहुत गयी थोडी रही या जगमें; कंगनवा मोरा अत ही अमोला
मालिनी राजूरकर : राग देस होरी - होरी खेलन को चले कन्हैया
विजय कोपरकर - मियाँ की तोडी - लंगर कांकरिया जी न मारो
रघुनंदन पणशीकर - निरंजनी तोडी - शरण तोरे आये
उस्ताद रशीद खान : राग मधुवंती - तोरे गुन गाऊं; उन सों मोरी लगन लागी रे
आरती अंकलीकर टिकेकर : राग बिलासखानी तोडी - जगदंबिका अंबिका
पं कुमार गंधर्व : राग गौड सारंग - पिया बसेरा घर आली
बडे गुलाम अली खाँ : राग गुजरी तोडी - भोर भयी तोरी बाट तकत पिया
उस्ताद रशीद खान : राग केदार - सेज निस नीन्दन नैन न भावे; कान्हा रे नंद नंदन
पं भीमसेन जोशी : राग हिंडोल - लाल जिन कर हो
पं भीमसेन जोशी : सूरदास रचित भजन - मधुकर! स्याम हमारे चोर
मालिनी राजूरकर : राग अहिर भैरव - बनरा मोरा; गावो गुनी
पं गोकुलोत्सव महाराज : राग बागेश्री - कैसे कटे रजनी अब सजनी
उस्ताद रशीद खान : राग ललित - रैन का सपना; भावेंदा यारदा जोबन
उस्ताद रशीद खान : राग पटदीप - ए धन धन भाग रे; रंग रंगिला बनरा मोरा
पं छन्नुलाल मिश्रा : पुरवैय्या चैती - अवध में बाजेला बधइया हो रामा
पं छन्नुलाल मिश्रा : पुरवैय्या कजरी - बरसे कारी कारी रे बदरिया

पान ६ :
पं छन्नुलाल मिश्रा : राग हंसध्वनी - जय दुर्गे जगदंबे भवानी
वीणा सहस्रबुद्धे- राग अभोगी - हस हस छेडत हो
पं. डी. व्ही. पलुस्कर - मियाँमल्हार - आयी समधिन मोरा रे घरो रे
पं. राजन - साजन मिश्रा - जयजयवंती - ऐसो नवल लाडली राधा
उस्ताद अमीर खान : राग यमन - शाहा जे करम बर मन-ए दरवेश नेगर
पं मल्लिकार्जुन मन्सूर : राग देस - दई पिय बिन रतिया कैसे बैरन भई
तराणा : सलामत व नजाकत अली खान/उस्ताद आमीर खाँ/नइम नजारी/कंकणा बॅनर्जी - यार-ए-मन बिया बिया
उस्ताद अमीर खान : राग यमन कल्याण - कजरा कैसे डारूँ
आमीर खां : राग मेघ (स्थायीत तराण्याचे बोल आणि अंतऱ्यात काव्य) - दीम तदीम तदेरेना; अब्र-ए-दर-ए-गुल
पं भीमसेन जोशी : संत पुरंदर दासांची कन्नड रचना (कृथी) - कैलासवासा गौरीश ईशा
पं कुमार गंधर्व : राग शंकरा - अनत जानू न जानू - भाग १,२,३ ; द्रुत - आवो रिझावो रिझावो रे
पं. भीमसेन जोशी : कबीर भजन - सुन सुन साधोजी राजाराम कहोजी
किशोरी आमोणकर व डॉ. बालमुरली कृष्णन् जुगलबंदी : राग पूरिया धनाश्री/पन्तुवराळी/ कामवर्दनि (कर्नाटकी संगीताप्रमाणे) - पायलिया झनकार मोरी
पं कुमार गंधर्व : माळवी लोकगीत - घोड़ी नाचत कूदत नगर गई
उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान - जयजयवंती - बैठी सगुण मनावत माता
पं कुमार गंधर्व : राग मधुसूरजा - बचाले मोरी मां; ढोलिया बजा रे अब तू रे
पं कुमार गंधर्व : राग बिहागडा - सखी मंदरवा में
कुमार गंधर्व : राग गौड मल्हार - ना बताती तू

पान ७ :
लतादीदी : राग भिन्नषड्ज - उड़ जा रे कागा
पं. अजय चक्रवर्ती - मारवा (+ थोडा शुद्ध धैवत ललत) - दीनन दुख हरन देव संतन हितकारी
किशोरी आमोणकर : राग भिन्न षड्ज / कौशिकध्वनी - उड जा रे कागा
पं जितेंद्र अभिषेकी : कबीर भजन - रहना नहीं देस बिराना है
किशोरी आमोणकर : अल्हैया बिलावल - कवन बटरियाँ/ बटरिया गइलो माई देहो बताए
पं. प्रभाकर कारेकर - राग पुरीया - ए पिया गुनवंता सबही बातन में
गंगूबाई हानगल : राग यमन - आज बजाये कान्हा बाँसुरी
गिरिजादेवी व उस्ताद अमजद अली खाँ साहेब जुगलबंदी : राग खमाज ठुमरी - साँची कहो मोसे बतिया पिया तुम
गिरिजादेवी : राग रामकली - पिया मिलन की बारी रे
पं. कुमार गंधर्व : राग कामोद - ऐसन कैस बरसत बरखा
पं. कुमार गंधर्व : राग शुध्द श्याम - मोय बुलायके पूछो ना रे
पं. कुमार गंधर्व : राग दुर्गा - आनंद झरायो री
कुमार गंधर्व : शिवगुरू यांचे निर्गुणी भजन : राग मांड - गुरा तो जिने
पं कुमार गंधर्व : राग राही - आजा रे कंथा छांड परदेसा भाग १
कुमार गंधर्व : निर्गुणी भजन - गुरू ने मोहिं दीन्ही अजब जड़ी

पान ८ :
गिरिजा देवी : कजरी - हरी बिन काली बदरिया छायी
गिरिजा देवी : होरी - होली खेलो मोसे नंदलाल
कौशिकी चक्रवर्ती : राग खमाज - काहे करत मोसे बरजोरी धीठ लंगरवा
उस्ताद रशीद खान - राग मियाँमल्हार - करीम नाम तेरो ; बिजरी चमके बरसे मेहरवा
पं. अजय चक्रवर्ती - राग अहिर भैरव - आनंद भोरा ए
रशीद खान - रवींद्रनाथ टागोर यांचं गाणं
गिरिजा देवी : सूरदास भजन - एक दिन मुरली श्याम बजायी
पं भीमसेन जोशी : कबीर भजन - काया नहीं तेरी नहीं तेरी
पं कुमार गंधर्व : राग मियाँमल्हार - जाज्यो रे बदरवा
मालाश्री प्रसाद : कजरी - घेरी घेरी आयी सावन की बदरिया ना
पं कुमार गंधर्व : सूरदास भजन - गोकुल प्रगट भये
गिरिजा देवी : राग मालकंस - नाद समुद्र को पार लगायो
शोभा गुर्टू : मांड - अँखियन डारो जी गुलाल नंदलाल
शोभा गुर्टू : होरी - केसरिया अंगिया रंग डालो जी
शोभा गुर्टू : मधमाद सारंग कजरी - सजणा बांट निहारत हारी / निहार तोहारी रे

पान ९ :
किशोरी आमोणकर : मीरा भजन - जोगिया से प्रीत किये दुख होए
सुरश्री केसरबाईं : मालकंस - मैसन मीत लंगरवा धीट रे
बेगम अख्तर : पूरबी दादरा - निहुरे निहुरे; हमार कहीं मानो
पं मल्लिकार्जुन मन्सूर : राग गौड मल्हार - सैंया मोरा रे मैं तो
पं मल्लिकार्जुन मन्सूर : राग देस - दई पिया बिन कैसे रतिया बैरन भई
पं मल्लिकार्जुन मन्सूर : मियाँ की तोडी - बीन बजावे माई री
श्री. महेंद्र टोके - राग पुरिया धनाश्री - बल बल जाऊँ तुमरे कारन (ताल - अती विलंबित झुमरा)
पं. डी. व्ही. पलुस्कर - राग हमीर - सुरझाय रही हो सुरझत नाही; करन चहूँ रघुपती गुनगाहा
विनायक राव पटवर्धन : राग हमीर - करन चहूँ रघुपती गुनगाहा
पं. विनायकबुवा पटवर्धन : राग भूपाली तोडी - जब राम नाम कही गावैगा
पं विनायकराव पटवर्धन : राग अडाना - परदेसवा नित जिनजाऊं वाहुरे मैंको; उदतन ध्रुतन द्रियनरे दींतानो
कौशिकी चक्रवर्ती : राग बागेश्री - आवो सजावो मंदिर आज
कौशिकी चक्रवर्ती : राग बागेश्री - याद करूं ध्यान धरूं माता सरस्वती
अहमद हुसैन मोहम्मद हुसैन : तुलसीदास भजन (गणेशवंदन) - गाईये गणपति जग बंदन
रोशनाआरा बेगम : राग बहार - नई ऋत नई फूली
पं भीमसेन जोशी : जामसुता रचित कृष्ण भजन - चतुर्भुज झूलत श्याम हिंडोरे
पं. अजय चक्रवर्ती - राग हंसध्वनी/ एम एस सुब्बुलक्ष्मी - वातापि गणपतीम् भजेsहं
पं कुमार गंधर्व : कबीर निर्गुणी भजन - अवधूता युगन युगन हम योगी
पं कुमार गंधर्व : दादरा - हां मैं तोड लायी राजा
विकास कशाळकरांचा लेख - गान जिज्ञासा
उस्ताद रशीद खान - दरबारी कानडा - हज़रत तोरे कमान जूके बलबल जैये एरी माई पीर मेरो साचो

पान १० :
पं. उल्हास कशाळकर - राग देस - घन गगन घन घुमड कीनो
पं. कुमार गंधर्व - राग भटियार - दिन गए बीत सुख के ; पर गयी लीके स्मृति की मनपटल से
पं. राजन - साजन मिश्रा -- सूरदासी मल्हार - चमकन लागे बिजुडी
पं. चंद्रशेखर पी. रेळे (सी.पी. रेळे) : राग भटियार - सुर श्रुती तान बांधत अमित अति
पं. भीमसेन जोशी : राग सुहा कानडा - कान्ह न सुनाई
पं जसराज : राग सुहा कानडा - या रब्बा मोरे पिया घर जो आये
पं भीमसेन जोशी : मलुहा केदार - कैसे जिया धरे धीर मोरी आली
सी.पी. रेळे, श्री. महेंद्र टोके, उस्ताद आमीर खान : राग भटियार - निस दिनन बिसरत
गिरिजा देवी : राग केदार - चांदनी रात मोको ना सुहावे
पं संजीव चिम्मलगी : राग पूरिया - प्यारे दे गर लागी
पं जसराज : राग दरबारी कानडा - हर हर हर भूतनाथ पशुपती
पं जसराज : गणेश स्तुती - विघ्नेशं नरदेव दु:खहरणं संसारसंधारणम्
शौनक अभिषेकी : निर्गुणी भजन - एक सूर चराचर छायो रे
पं दिनकर कैकिणी : राग गुजरी तोडी भजन - तू हरी को नाम नित भज रे
पं दिनकर कैकिणी : खमाज दादरा व तराणा - कटरिया ना मारो रे मोरे राजा
पद्मावती शाळिग्राम - गोखले : राग पिलू ठुमरी / कजरी - नहीं आये घर घनश्याम
पद्मावती शाळिग्राम : राग पूर्वी - कगवा बोले बोल अटरिया
पद्मावती शाळिग्राम : राग तिलक कामोद - तीरथ तो सब करे
पद्मावती शाळिग्राम : भैरवी ठुमरी - जा मैं तोसे नाहीं बोलू रे
पं. भीमसेन जोशी - तिलक कामोद - तीरथ को सब करे देवपूजा करे
पं. मुकुल शिवपुत्र - तिलक कामोद - एक सुगन दी जा रे बमना
पं सत्यशील देशपांडे : राग गौड मल्हार - जानी जानी तुमरे मन की सब जानी बात
इक्बाल बानो : भैरवी दादरा / ठुमरी - रतियाँ किधर गँवायी रे बलमा ओ हरजाई रे
पं. भीमसेन जोशी : तिलक कामोद - मन मे मोहन बिराजे

पान ११ :
पं कुमार गंधर्व : राग रामकली - कलीयन सोहायोरी हार गुंथारु सुघर
पं जितेंद्र अभिषेकी : राग झिलफ - दरस लागे पिया सूनो लागे देस
किशोरी आमोणकर : मीरा भजन - मतवारो बादर आए रे
किशोरी आमोणकर : संपूर्ण मालकंस - बनवारी श्याम मोरे
किशोरी आमोणकर : राग भीमपलासी - रंग सो रंग मिलाये
किशोरी आमोणकर : राग गुजरी तोडी - बेगुन गुन गावे
अब्दुल करीम खाँ/पं भीमसेन जोशी : राग गुजरी तोडी - आज मोरे मन लागो लंगरवा
पं जसराज : राग बिहाग - देखो मोरी रंग में भिगोए डारी
पं जसराज : राग बैरागी भैरव - अब न मोहे समझाओ कान्ह तुम
पं कुमार गंधर्व : राग कौशी कानडा - मुख आ दरदा रे
पं कुमार गंधर्व : राग धन बसंती - दीप की ज्योत जरे रे सुभघरी
पं कुमार गंधर्व : राग शुध्द श्याम - मोय बुलायके पूछोना रे
पं कुमार गंधर्व : राग शंकरा - सिर पै धरी गंग, कमर म्रिगछाला
पं कुमार गंधर्व : मीरा भजन - मैं जाण्यो नाहीं प्रभु को मिलण कैसे होय री
पं कुमार गंधर्व : राग देसकार / देशकार - जा जा रे भौंरा जा रे बिदेसा
पं कुमार गंधर्व : राग कामोद - मोरी नयी लगन लागी रे
पं कुमार गंधर्व : राग जौनपुरी - अरी येरी जागरी
पं कुमार गंधर्व : कबीर निर्गुणी भजन - जाग पियारी अब का सोवै
पं कुमार गंधर्व : राग धानी - आयी ऋत आयी ऋत
पं कुमार गंधर्व : राग बीहड भैरव - येहोरे श्याम व बना बनी आयो
पं कुमार गंधर्व : राग गांधी मल्हार - तुम हो धीर हो रे व तुम में सब रूप
पं. कुमार गंधर्व : राग सहेली तोडी - काहे रे जगावां दे व चंदासा मुख बन डारा
पं कुमार गंधर्व : निर्गुणी सूरदास भजन - अहो पति सो उपाइ कछु कीजै
पं कुमार गंधर्व : निर्गुणी गोरख भजन - दूजे के संग नहीं जाऊँ जी
पं कुमार गंधर्व : राग कामोदवंती - ये तो मान लेरी माँ जरा
पं कुमार गंधर्व : राग झिंजोटी - थाकी रे मैं पिया
उस्ताद आमीर खाँ साहिब - राग रागेश्री - बेगुन को गुन दीजे दाता
पं. भीमसेन जोशी - राग वृंदावनी सारंग - तुम रब तुम साहेब

पान १२ :
बेगम परवीन सुलताना - राग रागेश्री - ए सगुन बिचारो
पं जसराज : राग बैरागी भैरव - कौन जिय ठानी एरी सखी
किशोरी आमोणकर : मीरा भजन - हे मेरो मन मोहना
बेगम परवीन सुलताना : कबीर भजन - बैरन नींद कहाँसे आई
पं कुमार गंधर्व : राग बहार - ऐसो कैसो आयो रीता रे
पं कुमार गंधर्व : राग बागेश्री - सखी मन लागे ना
पं कुमार गंधर्व : राग देस - आप के बुलावा है जो
पं कुमार गंधर्व : राग संजारी - संजा सुन लेहोरी व रतियाँ डरावन लागोरी
उस्ताद रशीद खान : राग चंद्रध्वनी - अली री बना बन आयो री
उस्ताद रशीद खान : राग कौशी कानडा - नैना भरो कजरा सोहे
उस्ताद रशीद खान : कबीर भजन - साई बिन दरद करेजे होय
उस्ताद रशीद खान : राग मधुवंती झूला - पलना झुले नंदलाल
अश्विनी भिडे देशपांडे : राग पूरिया धनाश्री - मुश्किल करो आसान ख्वाजा मोरी
कलापिनी कोमकली : राग देस - मोरा मन हर लीन्हो कान्हा बन्सियाँ बजाई
पं कुमार गंधर्व : भजन - आज मुझे रघुवर की सुधि आई
उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ - राग पिलू - सैयां बोलो तनक मोसे
पं अजय चक्रवर्ती : श्यामसंगीत - मोनो चलो निजो निकेतोने
येशूदास : राग अहिर भैरव - चलो मन जाये घर अपने
पं. छन्नुलाल मिश्रा - राग मारूबिहाग - मोरे बलमा अजहूँ न आये

पान १३ :
पं राजन साजन मिश्रा/बेगम परवीन सुलताना : राग भैरवी भजन - भवानी दयानी महावाक् वाणी
बेगम परवीन सुलताना/पं राजन साजन मिश्रा/पं संजीव अभ्यंकर/पं जसराज : राग भीमपलासी - जा जा रे अपने मंदरवा / मंदिरवा
मालिनी राजूरकर : राग भीमपलास - पिया मोसे काहे ना बोलो एरी सजनी
गिरिजा देवी : ठुमरी मिश्र खमाज - इतनी अरज मोरी मान ले पिया मोरे
गिरिजा देवी : राग जोगिया ठुमरी / चैती - सोवत निंदियाँ जगाये हो रामा
सिध्देश्वरी देवी : ठुमरी - मुरलीयाँ कौन गुमान भरी रे
सिध्देश्वरी देवी : राग गौरी बैराग : नानकदेव शबद भजन - मै बनजारनि राम की तेरा नामु वखरु वापारु जी
गिरिजा देवी : ठुमरी - आवो पिया मोरे आवो री
गिरिजा देवी : राग यमन कल्याण - पैंय्या तोरे लागूं व ना जानू कैसे प्रीत
कलापिनी कोमकली : राग दरबारी सूरदास भजन - गिरिधर ब्रिजधर मुरली अधर धर
पं मल्लिकार्जुन मन्सूर : राग जोगी आसावरी / जोगिया आसावरी - मैंनु मतमार वें मियां
पं मल्लिकार्जुन मन्सूर : राग काफी भजन - हरी नाम सुमर सुखधाम, जगत में (मों) जीवन दो दिन का
पं गंगूबाई हनगल : राग सुहा / सुहाग / सुहा कानडा - कान्ह न सुनाइये बात मोरे जिया की
पं मालिनी राजूरकर : राग खमाज बंदिश की ठुमरी - आज मोरी कलाई मुरक गयी
पं मालिनी राजूरकर : राग वृंदावनी सारंग - का री करूं मैं अकेली नार सखी
पं मालिनी राजूरकर : राग दुर्गा - कहूँ कांसे मन की बिथा
शोभा गुर्टू : राग खमाज ठुमरी - छब दिखला जा बाँके साँवरिया
पं राजन व साजन मिश्रा : राग दुर्गा - जय जय जय दुर्गे माता भवानी
पं. कुमार गंधर्व - राग मालवती - मंगल दिन आज बना घर आयो
उदय भवाळकरः राग दुर्गा - दुर्गे भवानी माता काली

पान १४ :
गिरिजा देवी : राग मिश्र काफी ठुमरी - कैसी बन्सियाँ बजायी कान्हा मोरी सुध बिसराई
उदय भवाळकर : राग दुर्गा - दुर्गे भवानी माता काली
वि. पद्मा तळवलकर - राग केदार - कंगनुवा मोरा अतही अमोला
पं अजय चक्रवर्ती : राग बागेश्री अति विलंबित - कौन गत भयी मोरी आली
बेगम अख्तर : ठुमरी - अब के सावन घर आ जा
मौमिता मित्रा : राग मिश्र सोहोनी ठुमरी - काहे ननद दिन गारी
पियू सारखेल : राग सोहोनी - गोरी तोरे नैना अंजन बिना कारे
जद्दनबाई : राग दुर्गा - रूप जोबन गुन करोही रहत है
शुभ्रा गुहा : राग बिहाग - अब हूँ लालन मैका
शुभ्रा गुहा : राग हेमकल्याण - लगन लागी सुंदर श्याम सलोने
शुभ्रा गुहा : राग वृंदावनी सारंग - सगरी उमरिया मोरी
पं छन्नुलाल मिश्रा : राग भैरवी भजन - सिर धरे मटकिया डोले रे कोई श्याम मनोहर लो रे
पं मालिनी राजूरकर : रागमाला - दुर्गा माता दयानी देवी
सुलोचना बृहस्पती : राग भैरव - अनहद नाद आकार गूँजे
पं राजन साजन मिश्रा : राग गौड मल्हार - बलमा बहार आयी
डॉ. वसंतराव देशपांडे - राग जोगकंस - खेलन आयो री ब्रिजराज कुँवर / सीसेरी सेरा बन्धले
पं मल्लिकार्जुन मन्सूर/रोशनआरा बेगम/सूरश्री केसरबाई केरकर/मुकुल शिवपुत्र : राग विभास / बिभास - मोरा रे मीत पिहरवा
पं भीमसेन जोशी : राग बसंत - फगवा ब्रिज देखन को चलो री
पं. उल्हास कशाळकर - राग शुद्ध सारंग - आयी सब मिल देवो मुबारक बादियाँ / सखी री मोहे ना समझत समझ भेरी (?) कासे कहूँ बात

पान १५ :
पं. उल्हास कशाळकर - राग दरबारी कानडा - दुलहन तोरी अच्छी बनी है / ऐ तुमसोही करीम रहीम हक़ीम पाक परवदीगार झिंगार
रोशनआरा बेगम : राग ललित/ ललत - मोहे उनसे मिला दे एक बार
किशोरी आमोणकर : राग ललित - पियू पियू रटत पपीयरा
किशोरी आमोणकर : राग बसंत बहार - मान ले मान रे पिया मोरी
पं. मुकुल शिवपुत्र - राग तोडी - गरवा मैसन लागी मीत पिहरवा
पं. मुकुल शिवपुत्र - राग पटमंजिरी - सजल नैना काहे गोरी तू कारन बता दे
पं अजय पोहनकर : बिलासखानी तोडी - कोयलिया काहे करत पुकार
सिद्धेश्वरी देवी : राग मिश्र तिलंग ठुमरी - सूरत मोरी काहे बिसराई राम
पं कुमार गंधर्व : राग अडाना - कान कुंडल आवत है अलबेला
पं वीणा सहस्रबुध्दे : राग छायानट - संदेसवा पिया से मोरा कहियो जा
उस्ताद फतेह अली खान : राग अडाना - रहे जहांगीर देख गयी मोरे मनकी बीर
वि. पद्मा तळवलकर : राग श्री भजन - चलो री माई राम सिया दरसन को चलो री
श्वेता झवेरी : राग पूरिया धनाश्री - ढूँढन जाऊं कित छिप गये कृष्ण मुरारी/ श्याम मुरारी बनवारी गिरधारी
पं छन्नुलाल मिश्रा : कबीर रचित चैती - कैसे सजन घर जैबे हो रामा समझ न आवे
अनुराधा कुबेर - राग जयजयवंती - चली सजधज के राधिका सलोनी
मंजिरी असनारे/केळकर - राग जौनपुरी - हूँ तो जैयो पिया के देस/छुम छननन बिछुवा बाजे
पं. ओंकारनाथ ठाकुर : सूरदास रचित कृष्ण भजन - मैंया मोरी मैं नहीं माखन खायो
शुभा मुद्गल - राग शुद्ध सारंग - गाईये सजना गुनिजन बीच (चतुरंग)
पं छन्नुलाल मिश्रा : राग यमन तुलसीदास रचना - जाके गति है हनुमानकी

पान १६ :
उस्ताद रशीद खान : कृष्ण भजन - श्री राधे गोविंद हरी, संग मेरो मन लागयो
उस्ताद रशीद खान : कबीर भजन - धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय
पं कुमार गंधर्व : राग मियां की तोडी - देवो मोहे धीर माई सरसती देवी
उस्ताद अमीर खान : राग पूरिया - छिन छिन बाट तकत हूँ तोरी
पं कुमार गंधर्व : गीत वर्षा - ओ दिलदारा, लागो भादव, जसोदा के मंदर, आजु नंद के द्वार, आमरैयन के, हीरा मोती निब्जे
पं कुमार गंधर्व : भजन - नमो नमो नमो नारायण
कौशिकी चक्रवर्ती : ठुमरी - सैंया मोरा रे दिन रजनी कैसे बीते
व्यंकटेश (वेंकटेश) कुमार : राग मुलतानी - सुंदर सुरजनवा साईरे
कौशिकी चक्रवर्ती : मिश्र मांड ठुमरी - मोरे सैंया रे बेदर्दी बन गये
पं. रघुनंदन पणशीकर - राग रागेश्री - दीप दीप करे जगमग आज हर घर घर
पं. कुमार गंधर्व : राग सोहोनी भटियार - म्हारो जी भूलो ना माने
उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान : राग बसंत होरी - पिया संग खेलूँ होरी ए री माई
पं कुमार गंधर्व : कबीर निर्गुणी भजन - बिन सतगुरू नर रहत भुलाना
न्यूयॉर्क स्टेट डिपार्टमेन्टने १९७१ साली पं. भीमसेन जोशींवर काढलेली ही - फिल्म
पं नारायणराव व्यास : राग अडाना - ए री मोहे जाने दे री मां
निर्मला देवी/रेखा भारद्वाज : ठुमरी / चैती - एही ठइयां मोतिया हेराइ गइली रामा
पं भीमसेन जोशी : राग जयजयवंती - नाही नाही बोलत/ बोलू मैं तुमसे कन्हैया
मोहम्मद बक्ष/गिरिजादेवी : खमाज ठुमरी - जाग पडी मैं तो पिया के जगाये
उस्ताद रशीद खान : राग पूरिया - पिया गुनवंत (विलंबित) , मैं तो कर आयी पिया संग रंगरलिया (द्रुत)
उस्ताद रशीद खान : निर्गुणी रचना - सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप
उस्ताद रशीद खान/पं. विनायक तोरवी/पं डी व्ही पलुसकर : राग मियां की तोडी - अब मोरे राम राम रे बिराम राम राम रे
पं विनायक तोरवी : राग मियां की तोडी - कुतुबदिन कुतुब आलम मेहबूब इलाही
पं विनायक तोरवी : राग जयजयवंती - लरा माई सजनी / मोरे मंदर अजहुं नहीं आये

पान १७ :
पं जसराज : राग गौड मल्हार - बादर बरसावे बरसात बहु तेरी आलि
उस्ताद रशीद खान : राग दरबारी कानडा - हजरत तुर्कमान जूके व ऐ तुमसोही करीम रहीम
परवीन सुलताना : राग भैरव ठुमरी - ओ मोरे राम जिया ना लागे
पं कुमार गंधर्व : राग बिहाग - ये मोरा मन हरोरे हरो रे/ये का मुरझायो रे
पं भीमसेन जोशी : राग छाया मल्हार - तन मन धन सब / सखी श्याम नहीं आये
पं. भीमसेन जोशी : राग गौड़सारंग - सैंयो मै तो रचनी घड़ी वे जमाईयाँ
पं कुमार गंधर्व : राग शुद्ध सारंग - नैना ना माने मोरा
पं कुमार गंधर्व : राग अहिर भैरव - कैसे मनालूँ रे बुझावुँ अब कस तोहे रे
शुभा मुद्गल : भैरवी भजन - अजब झरत रस गगन गुफा में
शुभा मुद्गल : भैरवी निर्गुणी कबीर भजन - रस गगन गुफा में अजर झरै
शुभा मुद्गल : संत रैदास / रविदास भजन - अब कैसे छूटै राम नाम रट लागी
पं. कुमार गंधर्व - राग मधमाद सारंग - रंग दे रंग दे जवा जैसी मोरी पिया की पगरिया / रुखवा तले आया बैठा बट मारा
वृंदावनी सारंग - काही साईट्स
पं कुमार गंधर्व : राग गौड सारंग - पाती झर गइया / मांडी खबरे न लेत जानि यार वे
पं कुमार भैरव : राग रति भैरव - अरुण आके किरण रंग फेक्यो री
शुभा मुद्गल : अमीर खुसरो यांची रचना - बहोत रही बाबुल घर दुल्हन
शुभा मुद्गल : संत रैदास / रविदासांची रचना - गाइ गाइ अब कां कहि गाऊं , गावनहार को निकट बताऊं
शुभा मुद्गल : यारी साहब यांची रचना - उड रे उड बिहंगम

पान १८ :
उस्ताद रशीद खान : राग भीमपलासी - अब तो बडी बेरे भई / जा जा रे अपने मंदिरवा
राजश्री महाजनी : राग अभोगी - तुम सन लगी प्रीत सुंदरवा
पं मल्लिकार्जुन मन्सूर : राग बिहागडा - प्यारी पग होले होले धरे
पं मल्लिकार्जुन मन्सूर : एक निषाद बिहागडा - बैरन रे कैसे कर मन समझाऊं
पं भीमसेन जोशी : राग कौशी कानडा - काहे करत मोंसे बरजोरी
पं. जानोरीकर : राग शुद्ध सारंग - सकल गुन पाये हो, रसभिन साजनवा
पं अजय चक्रवर्ती : राग मेघ - घन छाये गगन अत घोर घोर
श्रुती सडोलीकर - अजहुं नाही कैसे प्राण कटो
गिरीजा देवी : झूला (राग : सिंधुरा बरवा - आज दोउ झूला झुले श्याम श्याम हिंडोरे रे
सिद्धेश्वरी देवी : राग गारा, दादरा - हे गुइयाँ मोसे भरावे गगरिया
कज्जन बेगम : कजरी - मेहरवा रस बुँदन बरसे
विदुषी माणिक वर्मा : राग जोगकंस - पीर परायी जाने नहीं बालमवा
पं भीमसेन जोशी : राग पूरिया कल्याण - बहुत दिन बीते बीते
राग नंद - वि. पद्मा तळवलकर - ए बारे सैयाँ तोहे सकल बन बन ढूँढू / धन धन भाग नंद को
श्रीमती मंजिरी असनारे केळकर : राग आजाद हिंडोल - मायेरी लाल आये अपनो
पं प्रभाकर कारेकर : राग सोहिनी - काहे अब तुम आये हो
पं कुमार गंधर्व- गौड मल्हार - अमरैयन के बिरखन के
पं मल्लिकार्जुन मन्सूर : राग लंकादहन सारंग - आज औंजन दियो राधिका नैननको
पं मल्लिकार्जुन मन्सूर : राग शुद्ध नट - आंखन मोरी लागी रे, रे भवरि पियरवा
पं मल्लिकार्जुन मन्सूर : राग सावनी - देव देव सतसंग श्रीरंग भवभंग कारन

पान १९ :
पं मल्लिकार्जुन मन्सूर : राग कबीर भैरव - अरी एरी माई मैं आपनो शिव पायो
पं निवृत्तीबुवा सरनाईक : राग काफी कानडा - सुखकर आई पिया के संग, तरपत हुत
उस्ताद फ़तेह अली खान व अमजद अमानत अली खान - राग दरबारी कानडा - मुबारक बादिया शादियाँ तोहे दीनी अल्लाही रसूल मुबारक
पं जसराज : राग त्रिवेणी - कालिंदी तट रचो रास
पं जसराज : राग भवानी बहार - साँवरे सलोने कान्हा
एम एस सुब्बलक्ष्मी व जसराज, गांधीजयंती १९८८ : तुलसीदास, सूरदास भजन - तू दयाल दीन है, तू दानि हौं भिखारी
पं. सी आर व्यास : राग मारवा - हो गुनियन मिल गावो बजावे
शोभा गुर्टू : दादरा - गारी दे गयो मुरला नादान
शुभा मुद्गल : मीरा भजन - गली तो चारों बंद हुई हैं
शुभा मुद्गल : सूरदास रचना - बूझत स्याम कौन तू गोरी
पं जसराज : राग बसंत मुखरी - जल जमुना भर निकसी गोरी
पं जसराज : राग रामकली - तुम पर वारी जाऊं मैं
पं जसराज : राग अहिर भैरव - मोहन मधुर आज मुरली बजाई
पं जसराज : राग आनंद भैरव - बाजे बाजे बाजे पायलिया
पं जसराज : राग भैरव बहार - कजरारे नैना गोरीके
पं जसराज : राग नट भैरव - देहूँ बिचारी सगुना
पं जसराज : राग ग्यानकली - शीश धरन गंग
पं जसराज : राग जोगिया - या मेरे मौला या अली रसूलल्लाह
शुभा मुद्गल : मीरा भजन - प्रभुजी मैं अरज करुँ छूं
उस्ताद रशीद खान : राग बिहाग - मेरो मन अटक्यो सुंदर श्याम / साजनवा आयो मोरे मंदिरवा
पं जसराज : राग दरबारी कानडा - मामवलोकय पंकज लोचन
शोभा गुर्टू : दादरा - कन्हैया से कहियो मोरी राम राम
शोभा गुर्टू : ठुमरी - सुन पायल की झंकार ए री बैरनिया
शोभा गुर्टू : दादरा - रंग छुवेरी मोरा सैंया खबरिया न लीनी चुनरिया
पं जसराज : राग मारु बिहाग हवेली संगीत - माई मीठे हरी जूके बोलना
पं जसराज : शुद्ध सारंग - सकल बन लाये रहे
पं जसराज : राग गौरी - चलो री सखी गोकुल धाम
एम एस सुब्बलक्ष्मी : नानक भजन - ठाकुर तुम शरणाई आया

पान २० :
पं जसराज : राग शुद्ध वराडी - कुंजबिहारी थारी रे बाँसुरी लागे मने प्यारी
पं जसराज : राग हंसध्वनी - पवन पूत हनुमान लला तुम
पं जसराज : राग मारवा - देख देख बाट तोरी तरस गये नैना
पं जसराज : राग बिलासखानी तोडी - गुरु चरणनमें ध्यान लगाऊं / करी किनसो किसनो बातन
पं जसराज : राग भीमपलास - आयो री कुँवर कान्ह मुरलीधर नाम
पं जसराज : राग जयजयवंती - धनि-धनि जसोमती गृह आवत
पं जसराज : राग जोग - मेरी गैल नहीं छोडे
पं जसराज : राग यमन - जा जा रे पागल मनवा
पं जसराज : राग मुलतानी - अजब तेरी बात अजब तेरो काम
पं जसराज : राग हिंडोल - लाल कृष्ण झूले झुलावत
पं जसराज : राग मेघ - मन मेरे सुहाई बरखा रितु आई
पं भीमसेन जोशी : राग मारु बिहाग - रसिया हो, ना जा रे, वाहू के देस / तरपत रैन दिना
पं. कुमार गंधर्व आणि वसंतरावांनी एकत्र गायलेला - भीमपलास
विदुषी वीणा सहस्रबुद्धे : राग नट भैरव - गुणीजन बखाने गुन की
विदुषी वीणा सहस्रबुद्धे : राग तोडी (संत तुलसीदास रचना) - जाके प्रिय ना राम-बैदेही
पं अजय पोहनकर : राग मालकंस - निर्दयी साँवरों मैं का मोह लई
कल्पना झोकरकर : होली गीत - रसिया को नार बनावो री
पं उल्हास कशाळकर : राग शुद्ध सारंग - सखी री मोहे ना समझत, समझ तेरी
पं उल्हास कशाळकर : राग ललित पञ्चम - उडत बूँद नव बिरहा
पं भीमसेन जोशी : राग कौंशी कानडा - राजन के राजा महाराजा
पं कुमार गंधर्व- राग यमन - हर हरत दुख सब
उस्ताद आमिर खान : राग हंसध्वनी - जय माता विलम तजत
उस्ताद आमिर खान : राग बसंत मुखरी - प्रभू दाता विधाता सबन के

पान २१ :
विदुषी मालिनी राजूरकर : राग चक्रधर - लाज राखो गिरिधारी कुंजबिहारी मोरी
विदुषी प्रभा अत्रे : राग मारु बिहाग - कल नाहि आए साँवरे
विदुषी डॉ. प्रभा अत्रे : दादरा - बसंती चुनरिया लावो मोरे सैंया
उस्ताद शुजात खान, उस्ताद सुलतान खान व उस्ताद रशीद खान यांच्या आवाजात : राग अहिर भैरव - अलबेला सजन आयो री
उस्ताद रशीद खान : राग सोहोनी - देख बेख मन ललचाये
उस्ताद रशीद खान : राग सोहोनी शिववंदना ध्रुपद - प्रथम आदि तब शक्ती
उस्ताद रशीद खान : राग श्री - हरी के चरण कमल निसदिन सुमिररे
भुवनेश कोमकली : राग श्री - रीसई काहे मो पर री?
पं मल्लिकार्जुन मन्सूर : राग श्री - कहां मैं गुरू ढूँढन जाऊं
श्रुती सडोलीकर : राग श्री - सुमिर कर ले आज गुरु को
शशांक मक्तेदार : राग श्री - वारी जाऊं रे साँवरिया / चलो री माई रामसिया दरसन को
पं के जी गिंडे : राग अंबिका सारंग - परी हूँ तोरे पैया सैंया
मुकुल शिवपुत्र- तिलक कामोद- सुर संगत बिद्या - सुर संगत राग बिद्या
उस्ताद वसिफुद्दिन डागर : राग भीमपलासी - कुंजनमें रचो रास अति बुधगत लिये गोपाल
उस्ताद रशीद खान : राग देशकार - याद आवत मोहे पी की बतिया
पं. भीमसेन जोशी : राग भीमपलासी - सोही रसना जो हरीगुन गावै / ब्रिज में धूम मचावे कान्हा
पं भीमसेन जोशी : राग काफी ठुमरी - बांवरे दम दे गयो रे कान्हा
गिरिजा देवी : राग पिलू ठुमरी - पपीहरा पी की बोली न बोल
पं राजन साजन मिश्रा : राग केदार - कान्हा रे नंद नंदन/ चतर सुघर बलमा
विदुषी सुनंदा पटनाईक : राग जयजयवंती - लरा माई सजनी/ लाडली प्यारी ये
विदुषी सुनंदा पटनाईक : राग रामकली - सखी मेरे मनकी को जाने
पं जसराज : राग बागेश्री कानडा - तुम बिन मिल मोहे चैन परत ना
पं रामश्रेय झा : राग शिवमत भैरव - बौराहे को ना दूँगी अपनो दुलारी
पं. रामाश्रेय झा : राग चारुकेशी - हमरी तुम्हरी राजन जाति पाति
श्रीमती शांती शर्मा : राग मालकंस - पगवा लागन गुरु के
पं रामाश्रेय झा : राग भटियारी भैरव - पलकन लागी री मोरी
उस्ताद फैयाज खान : भैरवी दादरा - बनावो बतिया चलो काहे को झूठी

पान २२ :
वि. पद्मा तळवलकर - राग हमीर - धीट लंगरवा कैसे घर जाऊँ
उस्ताद हमीद अली खान व आसाद अमानत अली खान : राग भैरवी - लागी रे तोसे लागी नजर सैंया लागी
पं जसराज : राग यमन कल्याण पुष्टिमार्ग भजन - रानी तेरो चिरजीयो गोपाल
उस्ताद फिदा हुसैन खान : राग भैरवी - कौन नगर गयो श्याम सखी री मोरा
उस्ताद फिदा हुसैन खान व हनिफ खान - आयो जी गोकल के महाराज
उस्ताद अस्लम हुसैन खान : राग मंगल भैरव - चौक परे हो राज मोरे माई
संहिता नंदी : राग मुलतानी - ऐसी कवन लगन लगाई रे भँवरा
उस्ताद अल्लारखां : राग मधुवंती - आयी रे ऋत सावन की
पं संजीव अभ्यंकर : राग मधुवंती - मेहमानन से का लरिये, भाग १ / मेहमानन से का लरिये, भाग २ / काहे मन करो सखी री अब, भाग ३
पं रामाश्रेय झा : राग मारु बिहाग - आज रे बधावा बाजै
पं छन्नुलाल मिश्रा : कृष्ण भजन - रोको ना डगर मोरे श्याम
उस्ताद रशीद खान : राग केदार - सेज निस नींदन नैन न भावे / कान्हा रे नंद नंदन
उस्ताद रशीद खान : राग जोगकंस - ओ सुघर बर पाया निके
पं छन्नुलाल मिश्रा : दादरा - तोरे नैना खिला दे कटार सजनी
विदुषी गिरिजादेवी - पूरब देस से आई गोरिया
विदुषी गिरिजादेवी - जियरा ना माने मोर
उस्ताद फैयाज अहमद खान, उस्ताद नियाज अहमद खान : ठुमरी - मोहे छोड गए मझधार
शुभा मुद्गल - कदम्ब तर ठाडै है पिया प्यारी
पं छन्नुलाल मिश्रा : तुलसी रामायण लंकाकांड - बिभीषण गीता व कबीर भजन
विदुषी शोभा गुर्टू/ इक्बाल बानो: राग पिलू ठुमरी - गोरी तोरे नैनवा कजर बिन कारे
श्री भगवती प्रसाद : राग वसंत - नवल वसंत, नवल वृंदावन
पं. जगदीश प्रसाद : भैरवी ठुमरी - मोरे नैना भर भर आए
पं जगदीश प्रसाद : राग देस ठुमरी - ए री मोरे पिया नाही घर आए
पं. जगदीश प्रसाद : राग गुजरी तोडी - नैना मतवारे तोरे
पं जगदीश प्रसाद : राग वाचस्पती - सांचो तेरो नाम व चतुर सुघर बलमा
पं जगदीश प्रसाद : राग बागेश्री - मोह लई उन सदारंगिले पिया ने/अब घर आजा पिया मोरे

पान २३ :
पं जगदीश प्रसाद - आओ आओ छैला तोहे मदवा पिलाई दूँ
पं. जगदीश प्रसाद : राग पहाडी ठुमरी - शाम भई घनश्याम न आये
पं दिनकर कैकिणी : राग भैरवी - गुलनारों में राधा, पनघट पे जल भरन
पं मल्लिकार्जुन मन्सूर : राग जैत कल्याण - पपीहा बोले ऋतु सावन की
पं. भीमसेन जोशी : राग मारवा - अब मिल आये अपने पिया को
पं भीमसेन जोशी : राग यमन कल्याण - ऐ पिया बिन कैसे तरोगे, सखी एरी आली पिया बिन
पं भीमसेन जोशी : राग पूरिया धनाश्री - पार करो अरज सुनो
पं भीमसेन जोशी : राग मुलतानी - ए गोकुल गांवके छोरा रे
पं शौनक अभिषेकी : निर्गुणी भजन (गोरक्षनाथ रचित) - एक निरंजन ध्याऊं गुरुजी
विदुषी शुभा मुद्गल : बारामासा - हमका लै ना गये बैमनऊ
विदुषी शुभा मुद्गल : ठुमरी / कजरी - बालम तेरे झगडेमें रैन गयी
विदुषी शोभा गुर्टू - मघ में श्याम छियो न जात
पं. रामाश्रेय झा : राग भीमपलासी - अरज मानिये साई मोरी
पं रामाश्रेय झा : राग भीमपलासी - लगन लागी लागी उन ही सो री
पं जसराज : रान भिन्न षड्ज - कीन बिरमाए एरी तेरो कान्ह
विदुषी वीणा सहस्रबुद्धे : राग हेमंत - बीत गये एरी माई जुगवा दरस बिना
उस्ताद फतेह अली खान : राग पहाडी - मोरे अंगना सुहाग बरसन लागा
विदुषी शोभा गुर्टू : दादरा - हम प्रीत किए पछताए साँवरिया
मीरा चिखलीकर व समूह : राग परमेश्वरी - पावन कर दो महेश तूही जीवन हारा
बेगम परवीन सुलताना : राग दीन तोडी / परमेश्वरी - निस दिन जप करूं तेरो नाम मनमोहन श्याम
पं जसराज : राग अबीरी तोडी - अपनो बिरानो मै को देखे जी

पान २४ :
पं. कुमार गंधर्व : राग सावनी - दरस बिन नीरस सब लागेरी
विदुषी मालिनीताई राजूरकर : राग खमाज टप्पा - चाल पैछानी मियां मैं तो
विदुषी शोभा गुर्टू : दादरा - सूरज मुख ना जैबे ना जैबे हाय राम
विदुषी शोभा गुर्टू : दादरा - बान नैनों का जालिम ने मारा हमें
विदुषी शुभा मुद्गल : राग मेघ - देखो माई सावन दूल्हे आयो
विदुषी शुभा मुद्गल : राग देस - बाजत नगारे घन ताल देत नदीनारे
विदुषी शुभा मुद्गल : मिश्र खमाज - एहो लाल झुलिये तनक धीरे धीरे
विदुषी शुभा मुद्गल : राग मिश्र गारा - सखी चलो री कदंब तले
पं जसराज : राग दरबारी कानडा - एरी बीर री, जाको मन चाहे भाग १, २
पं. कैवल्य कुमार गुरव : राग मधुवंती - बैरन बरखा रितु आयी
उस्ताद आमिर खान : राग बैरागी भैरव - मन सुमरत निस दिन तुम्हरो नाम
उस्ताद आमिर खान : राग शहाना कानडा - सुंदर अंगना बैठी निकस के
उस्ताद आमिर खान/केसरबाई : राग नंद - ढूँढू बारे सैंया
उस्ताद रशीद खान : राग भैरव - जग करतार तू ही
शुभ्रा गुहा : राग छायानट - नेवर की झनकार, अचक अचक चले कामिनी
विदुषी गिरिजा देवी : चैती - बैरन रे कोयलिया तोरी बोली ना सुहाये
रसिकलाल अंधारिया- हंसध्वनी - जै मात बिलम त्यज दे- विहरति ब्रह्मनन्दिनी
विदुषी गिरिजा देवी : चैती - चढल चैत चित लागे ना रामा बाबा के भवन
विदुषी गिरिजा देवी : कजरी - कहनवा मानो हो राधा रानी
कौशिकी चक्रबर्ती : राग केदार - पिया की छब देखी न्यारी, पी की सुरतिया, अमल कमल दल लोचन हे, अब आ मिलो कान्त हमारे

पान २५ :
पं. डी. व्ही. पलुस्कर - राग रागेश्री - प्रथम सुर साधे; रटे नाम जो लो रहे
अख्तरीबाई - इब्न-ए मरियम हुआ करे कोइ
वसंतराव - राग रागेश्री - प्रथम सुर साधे; रटे नाम जो लो रहे / आयो अत मतवारो पिहरवा
उस्ताद रशीद खान : राग अहिर भैरव - रसिया म्हारा आमालारा / अलबेला साजन आयो री
उस्ताद अफझल हुसैन जयपुरी : राग तिलक कामोद ठुमरी - आ जा बलमवा सावन आया
उस्ताद अफझल हुसैन जयपुरी : राग पहाडी ठुमरी - मैं तोरे संग ना बोलू
उस्ताद अफझल हुसैन जयपुरी : राग गारा ठुमरी - जिया में लागी आन बान
उस्ताद मुनावर अली खान : दादरा / ठुमरी - बिन देखे बालम के नाहीं जिऊंगी
शुभ्रा गुहा : होरी - छलवा ना डारो गुलाल
उस्ताद अर्शाद अली खान : राग भूपाली तोडी - ऐसी हम सों कवन भूल भई
उस्ताद मुनावर अली खान : राग बिहाग - ऐसी चतर ब्रज नारी
उस्ताद बडे गुलाम अली खान व मुनावर अली खान : राग बिहाग - हे कान सों करनफूल/ अब तो रट लागी
उस्ताद फैयाज खान : राग जौनपुरी - फुलवनकी गेंद मैंका न मारो रे
उस्ताद फैयाज खान : राग परज - मनमोहन ब्रिज को रसिया
उस्ताद फैयाज खान : राग सुघराई कानडा - नैनन सो देखी एक झलक मोहन की
पं उल्हास कशाळकर : राग बसंती केदार - अतर सुगंध गुलाब नवेलरीया
पं. संजीव अभ्यंकर : राग नट भैरव - चढिये मुलक सुलतान/ दे हूँ बिचारी सगुना
बेगम अख्तर : दादरा - अँखियन नीन्द न आये राम
पं संजीव अभ्यंकर : राग पूर्वी - मोरे लाल प्यारे को/ दया करो मोरे मां
बेगम अख्तर : ठुमरी मिश्र भैरवी - कल नाही आए

पान २६ :
बेगम अख्तर : ठुमरी - अब कैसे कटे मोरी सूनी सेजरिया
वाद्य संगीत - यमनकल्याण
बेगम अख्तर : मिश्र खमाज ठुमरी - ना जा बलम परदेस
पं रामाश्रेय झा : राग खमाज बंदिश की ठुमरी - बोले अमुवा की डारन बैरी
पं रामाश्रेय झा : राग आनंद भैरव - हरी बिन तेरो कौन संग साथी
पं रामाश्रेय झा : राग सौराष्ट्र भैरव - बरनी न जाय छबी आज सखी कान्ह की
पं रामाश्रेय झा : राग प्रभात भैरव - जोगी आयो आयो री एक
पं. मुकुल शिवपुत्र - राग बागेश्री - गुन्देलावो री मालनिया
पं. के. जी. गिंडे : राग चारुकेशी - नैया परी मजधार
पं जितेंद्र अभिषेकी : राग अल्हैया बिलावल - रोके ठाडो गैल मोरी वो तो नंदलाल
प्रो. बी. आर. देवधर : राग सिंधुरा (होरी) - सज सज आवत है ब्रिजनार
पं डी. व्ही. पलुसकरबुवा : राग सिंधुरा चतरंग - चतरंग गावो गुनी सब मिलकर
पं. लक्ष्मणप्रसाद जयपूरवाले : राग काफी - आज कारी घटा घुमकर आई
पं. भीमसेन जोशी : राग जोग - साजन मोरा घर आये
सिद्धेश्वरी देवी : राग काफी होरी - उडत अबीर गुलाल
सिद्धेश्वरी देवी : ठुमरी - मुरलिया रे कौन गुमान भरी
उस्ताद शराफत हुसैन खान - प्रेमरंग : राग भैरवी ठुमरी - बनावो बतिया चलो काहे को झूठे
उस्ताद विलायत हुसैन खान, उस्ताद युनुस हुसैन खान : राग सोहिनी - एरी यशोदा तोसे लरूंगी लराई
उस्ताद बडे गुलाम अली खान : राग मांझ खमाज ठुमरी - अब तोहे जाने नाहीं दूँगी
उस्ताद बडे गुलाम अली खान : राग मांझ खमाज ठुमरी - प्रेम अगन जियरा जलावे
उस्ताद शराफत हुसैन खान : राग अडाना - गगरी मोरी भरन नहीं देत
उस्ताद युनूस हुसैन खान : राग मलुहा केदार - अंछरा मोरा हूं बामनी/ बाजे रे मोरी पायल बाजे

पान २७ :
पं. रामाश्रेय झा : राग मलुहा केदार - अब मोरी माई मन मेरो लागो
पं. कुमार गंधर्व : राग सोहिनी - रंग ना डारो श्यामजी गोरी पे रे
पं. कुमार गंधर्व : राग बहार - रस बरसायो रे/ भंवर मन गेल्यो
पं. विजय कोपरकर : राग सोहिनी - मोहि लागे लटक गुरु चरनन की
पं. कुमार गंधर्व : सूरदास भजन - ऊधो अँखियाँ अति अनुरागी
पं. कुमार गंधर्व : तुलसीदास भजन - राम! हौं कौन जतन घर रहिहौं?
गायिका देवकी पंडित (?) : राग खमाज (?) - प्रेम बदर बन आओ पिहरवा
द्रुत झपताल - डारूंगी डारूंगी डारूंगी तोपे रंग सावरिया
पं. कुमार गंधर्व : संत तुलसीदास भजन - दानी कहुँ संकर-सम नाहीं
पं. कुमार गंधर्व : तुलसीदास भजन - राम-पद-पदुम पराग परी
पं. कुमार गंधर्व : निर्गुणी भजन (गोरक्षनाथ भजन) - शून्य गढ शहर शहर घर बस्ती
बागेश्री भजन - गोविन्दमिह गोपिकानन्दकन्दम्
पं बसवराज राजगुरू : राग वृंदावनी सारंग - सगरी उमरियाँ मोरी
उस्ताद बडे गुलाम अली खाँ : राग मधमाद सारंग - मोरे मंदर अब आवो साजन
पं. रामाश्रेय झा : राग भटियार - मेरो बनै नाहिं तेरो

पान २८ :
शुभा मुद्गल : राग भटियार - सजन बिना री माई
उस्ताद आमिर खान/पं बसवराज राजगुरू : राग गौरी भटियार - बरनि न जाय री
पं. कुमार गंधर्व : कबीर भजन - रमैया के दुलहिन लूटा बजार
पं कुमार गंधर्व : संत मीराबाई भजन - राम मिलण रो घणो उमावो नित उठ जों बाटडियाण्।
पं कुमार गंधर्व : सूरदास भजन - कनक रति मनि पालनौ, गढ्यो काम सुतहार
पं. कुमार गंधर्व : तुलसीदास रामचरितमानस बालकांड चौपाई - गुरहि प्रनामु मनहि मन कीन्हा
पं. कुमार गंधर्व : संत तुलसीदास भजन - मैं केहि कहौ बिपति अति भारी। श्रीरघुबीर धीर हितकारी॥
विदुषी मालिनी राजूरकर : राग भूपाली तोडी - माँगन माँगत आयो दर तोरे / भनक परी कान आगम बालम की
विदुषी मालिनी राजूरकर : राग झिंझोटी - पाहुन आवे बन कब मोरी / काहे करत कन्हाई चतुराई
परवीन सुलताना : गुजरी तोडी - जा रे जा रे
विदुषी मालिनी राजूरकर : राग गुणरंजनी - प्रथम स्वरूप स्वर ओंकार / अनहत के भेद हम जान लियो
विदुषी शोभा गुर्टू : दादरा - रंगी सारी गुलाबी चुनरिया रे
हंसध्वनी - लागी लगन पती सखीसन
पं कुमार गंधर्व : होरी - झीनि रंग झीनि रंग केसर रंग भीनी
विदुषी मालविका कानन : मीरा भजन - मैं गिरधर के घर जाऊँ
उस्ताद फतेह अली खान : राग भीमपलासी - पिया मैं तो तुम पर वारी
पं ओंकारनाथ ठाकुर : राग भीमपलासी - ढोलन मेंडे घर आवे मीयाँ
पं मुकुल शिवपुत्र : राग बिभास - तारवा गिनत गिनत मैंको रैन
मालिनी राजुरकर : बिलासखानी तोडी - अब मोरे कांता
उस्ताद बडे गुलाम अली खाँसाहेब- भूपाली - महादेव महेश्वर महादेव

पान २९ :
पं. जसराज : राग जयजयवंती - दरस देत क्यूं री मां मोरी
उस्ताद फैय्याज खान : राग जयजयवंती (देस अंग) - नादान अखियां लागी
पं. वसंतराव देशपांडे : दादरा - बिंदियाँ ले गई हमार रे मछलियाँ
पं. कुमार गंधर्व : राग हमीर - अजब दुनिया जारिया कहां है
उस्ताद बडे गुलाम अली खाँ : राग भैरवी ठुमरी - सुनियो नंद कुमार
विदुषी शैला दातार : राग शहाना कानडा - मोरे आये है कुँवर कन्हाई
उस्ताद सलामत खान : राग शहाना - रे बिरहन बाँवरी
संध्या काटवले : ठुमरी / कजरी - बरसन लागे रे बदरिया
पं. मिलिंद चित्तल : राग कलावती - रे बालमवा मोरे
उस्ताद रशीद खान : राग हमीर - देखी ऐसी प्यारी लाडली की
उस्ताद रशीद खान : राग मियां की मल्हार - सावणु आइआ हे सखी कंतै चिति करेहु
उस्ताद नसीर अहमद खान : राग केदार - जाने ना दूँगी ए मैं अपने बलम को
उस्ताद बडे गुलाम अली खाँ : राग केदार - ये नवेली नार बन ठन निकली
उस्ताद रशीद खान : राग बसंत (नानकदेव शबद रचना) - होली कीनी संत सेव

पान ३० :
पं. अजय चक्रबर्ती : राग माली गौर / माली गौड : नामदेव रचना - सभै घट रामु बोलै रामा बोलै
पं मुकुल शिवपुत्र : राग सुघराई कानडा - अधक भुजकवा करिहो
उस्ताद आमीर खान : राग मेघ - बरखा ऋतु आयी
पं जसराज : राग नागध्वनी कानडा - हमको बिसर कहाँ चले सलोने सैंया
उस्ताद आमीर खान : राग जोग - ओ बलमा अब घर आ / साजन मोरे घर आये
पं. भीमसेन जोशी : राग भैरव - बालमुवा मोरे सैंया सदारंगीले / हमसे करत तुम रार बालम
पं बिरजू महाराज : राग पहाडी - छोडो छोडो बिहारी नारी देखे सगरी रे
उस्ताद मुनावर अली खान : राग देस - कारी घटा घिर आयी री सजनी
एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी : भजन - याद आवे, ब्रिन्दाबन कि मंगल लीला
पं जसराज :राग झिलाफ - हझरत ख्वाजा संग खेलिये धमाल
अश्विनी भिडे-देशपांडे- राग जयजयवंती (आडा चौतालातली खूप सुंदर रचना) - सुंदर श्याम सलोने
हमसे करत तुम रार बालम - हमसे करत तुम रार बालम
पं. भीमसेन जोशी आणि डॉ. बालमुरली यांच्या जुगलबंदीत - हँस हँस गरवा लगा ले
विदुषी वसुंधरा कोमकली : राग मिश्र मांड - मृगनयनी तेरो यार नी रसिया
पं. रवी किचलु : राग जौनपुरी - फुलवनकी गगन (गेंद?) मैंका ना मारो रे
पं रामाश्रेय झा : राग किरवाणी - मुकुट वारो सांवरो
पं. रामाश्रेय झा : राग तिलक बिहारी, ठुमरी - हो महाराजा केवडिया खोले
पं. रामाश्रेय झा : पारंपारिक दादरा - कन्हाई रंग डारो ना, रंग डारो ना
पं. रामाश्रेय झा : राग नट नागरी - काहे अलख जगायो जोगी
पं. रामाश्रेय झा : राग शुद्ध कल्याण - बैरन भई री मैका

पान ३१ :
पं उल्हास कशाळकर : राग केदार - जोगी रावला रोम बिलम रहे / सुघर चतर बलमा पकरत हो बैंया
वि. श्रुती साडोलीकर - राग धानी - साडे नाल वे मियाँ
कौशिकी चक्रबर्ती : दादरा - ठाडे रहिओ ओ बाके यार रे
विदुषी गिरिजा देवी : भजन - तेरो गोपाल माने ना बात
ब्रजेश्वर मुखर्जी : राग भूपाली - प्रभू रंग भीन / तोरे नैनोंने मोसे ऐसी कीनी
पं. विनायकराव पटवर्धन व पं. नारायण व्यास : राग बागेश्री - बिनती सुनो मोरी अवधपुर के बसैया
उस्ताद आमीर खान : राग मुलतानी - जाको मन अल्लाह संग रहत, बलमा मोरी तुम सौं लागली प्रीत
उस्ताद लताफत हुसैन खान व उस्ताद बिस्मिल्लाह खान : राग कामोद जुगलबंदी - मोरी नई लगन लागी रे
पंडित डी. व्ही. पलुसकर बुवा : राग कामोद - हूँ तो जन मन छांडू, मोरी नई लगन लागी रे
अश्विनी भिडे-देशपांडे- राग भूपाली - गुरू साधक पाये (गुरू साथ पाये)
विदुषी अश्विनी भिडे देशपांडे : सूरदास भजन - कहाँ रह्यौ मेरौ मनमोहन
उस्ताद बडे गुलाम अली खाँ साहेब : राग कामोद - छांड दे मोरा आंछरा
पं. जितेंद्र अभिषेकी : राग श्याम कल्याण - हमरे पियारी माई / बेला साँझ की सुखद सुहावनी
उस्ताद अख्तर अली खान व झाकिर अली खान : राग आसावरी - नावरिया झांजरी आन परी मजधार
पं. जितेंद्र अभिषेकी : राग देव गांधार - बरजोरी ना करो रे ये कन्हाई
उस्ताद आमीर खान : राग बागेश्री - बहुगुन काम ना आवे
उस्ताद राजब अली खान : राग बागेश्री - कौन करत तोरी बिनती
पं. रामाश्रेय झा : राग पूर्वी - टोनवा हे माई कर दे / कवन मंत्र तंत्र पढि कियो री
पं. यशवंतबुवा जोशी : राग पूर्वी - पियरवा की बासे तू मोहे भावे
पं. कुमार गंधर्व : राग पूरिया धनाश्री - बलगई जोत सांझ भईल / कहाँ चला हो रे

पान ३२ :
पं कुमार गंधर्व : राग भैरव - रवि के करम है रे
पं. वसंतराव देशपांडे : राग खेम कल्याण - आये हो सुंदर मांग भरावन
पं. श्रीकृष्ण नारायण रातंजनकर बुवा : राग बसंत मुखरी - उठत जिया हुक सुनी कोयल कूक
संगीत नाटक अकादमी निर्मित उस्ताद बडे गुलाम अली खान यांच्यावरील - माहितीपट
उस्तादांच्या ''शक्कर'' समारोहाबद्दलच्या एका रसिकाच्या काही - आठवणी
उस्ताद बडे गुलाम अली खान : राग बिहाग ठुमरी - काहे सतावो मोहे साँवरिया
उस्ताद आमीर खान : राग जनसम्मोहिनी / शुभ कल्याण - कौन जतन सो पिया को मनाऊं
पंडित ए. कानन : राग जोग - पिहरवा को बिरमायो / साजन मोरे घर आये
नूरजहाँ व फरीदा खान्नुम : रागेश्री गीत - सजन लागी तोरी लगन मन मा
उस्ताद आमीर खान : राग मधुकंस - ए बैरन भई रैन
पं. वसंतराव देशपांडे : राग मधुकंस - देहो दरस मोहे राम / आ जा रे आ जा पथिकवा
पं. रसिकलाल अंधारिया : राग मंगल भैरव - रे मंगल गावो
पं. रसिकलाल अंधारिया : राग गोरख कल्याण - सजन बिन बाँवरी भई री
पं. जसराज : सूरदास भजन - दृढ इन चरण कैरो भरोसो

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याआधीची चर्चा इथे आहे -
चीजांचे शब्द आणि अर्थ : धागा क्रमांक - १
या पुढची चर्चा इथे आहे -
चीजांचे शब्द आणि अर्थ : धागा क्रमांक - ३

विषय: 
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लतादीदी -- राग भिन्नषड्ज -- उड़ जा रे कागा

हेच गाणं हृदयनाथ मंगेशकरांच्या आवाजात -- उड़ जा रे कागा

उड़ जा रे कागा बन का
मेरा स्याम गया बहु दिन का ||

तेरे उड्यासू राम मिलेगा दोका भावे मन का
इत गोकुल उत मथुरा नगरी हरी है गधे बन का ||

आप तो जाएँ बिदेसा छाए हम वासी मधुबन का
मीरा के प्रभु हरी अविनासी चरण केवल हरी जन का ||

>>> त्या गाण्यातले शब्द रँडम सर्च केले तर जांगडा पोरवाल समाजाची एक साइट ओपन झाली!! मी अवाक्!! >>> Lol Lol

मी तर समाजाचं नाव सुद्धा पहिल्यांदाच ऐकलं! Happy

>>> पण माझं रेटिंग कधीही उस्ताद साहेबांना! >>> येस येस... माझं पण! Happy

युरेक्का!

पं. अजय चक्रवर्ती - मारवा (+ थोडा शुद्ध धैवत ललत) - दीनन दुख हरन देव

दीनन दुख हरन देव संतन हितकारी ||

अजामिल गीध ब्याध इनमें कह कौन साध
पंछी को पद पढ़ात गनिकासी तारी ||

ध्रुव के सर छत्र देत प्रहलाद को उबार लेत
भक्त हेत बांध्य सेत लंकापुरी जारी ||

तंदुल देत रीझ जात साग पात सों अघात
गिनत नहीं जूठे फल खाट मीठे खारी ||

गज को जब व्राह ग्रस्यो दू:शासन चीर खस्यो
सभा बीच क्रिश्न क्रिश्न द्रौपदी पुकारी ||

इतने हरी आये गए बसनन आरूढ़ भये
सूरदास द्वारे खड़ो आंधरो भिकारी ||

वा! किशोरीताईंचं उड जा रे कागा देखील मला खूप आवडतं.

किशोरी आमोणकर : राग भिन्न षड्ज / कौशिकध्वनी : उड़ जा रे कागा

उड जा रे कागा
ले जैयो संदेसवा
मोरा उन बिन लागे ना जिया

वाsह! Happy

वेगळंच आहे अजय चक्रवर्तींनी गायलेलं दीनन दुख.... किंऽचित जास्तच अगतिक वाटतंय ते... पण कदाचित जगजीत सिंघांनी गायलेल्या दीनन दुखचं कंडिशनिंग झाल्यामुळे तसं वाटलं असेल! Happy

पं जितेंद्र अभिषेकी : कबीर भजन : रहना नहीं देस बिराना है भाग १

रहना नहीं देस बिराना है भाग २

रहना नहीं देस बिराना है
यह संसार कागद की पुड़िया, बूँद पड़े घुल जाना है
यह संसार काँटों की बाड़ी, उलझ उलझ मर जाना है
यह संसार झाड़ अरु झंखार, आग लगे गल जाना है
कहत कबीर सुनो भाई साधो ! सतगुरु नाम ठिकाना है ।

किशोरी आमोणकर : अल्हैया बिलावल : कवन बटरियाँ

कवन बटरियाँ/ बटरिया गइलो माई देहो बताए
मै घरवा गत माई चूरिया भइलवा

लेने गयी सौदा अरे हठवा रे
इतनी गली में गइलो कवनवा

>>किंऽचित जास्तच अगतिक वाटतंय ते>> हम्म्म्म.... मारव्याचे स्वर आणि त्यात अजोयजींनी शब्दांमधल्या करुण रसाला जस्टीस करण्यासाठी म्हणून वापरलेला आर्त tone यामुळे जरा overstepping झालं असेल Happy

पं. प्रभाकर कारेकर - राग पुरीया - ए पिया गुनवंता

ए पिया गुनवंता सबही बातन में
निसदिन करत रहत चतुराई |
एक गुन नाही मो में रंगीले
जित तित प्रीत लगायी ||

गंगूबाई हानगल : राग यमन : आज बजाये कान्हा बाँसुरी

आज बजाये कान्हा बाँसुरी
मोहील है सब ब्रज नारी
वृंदावन की कुंज गलीनमें संग लिये वृथ (??) बाल दुलारे

(किती सहजपणे गाताहेत. जणूकाही ओसरीवर बसून कोणाशी गप्पा माराव्यात इतकी सहजता व उत्स्फूर्तता! क्लीपची क्वालिटी जरा खराब आहे, पण काय गायल्या आहेत गंगूबाई!!)

गिरिजादेवी व उस्ताद अमजद अली खाँ साहेब जुगलबंदी : राग खमाज ठुमरी : साँची कहो मोसे बतिया

साँची कहो मोसे बतिया पिया तुम
कहाँ गँवायी सारी रतिया पिया

माधव (माधो) पिया तोसे
तुमसे अरज अरज करत हूँ
ना करो मोसे घतिया पिया

* तो शब्द माधो आहे की वेगळाय? मला माधो असा ऐकू येतोय, पण मानो असा ही असेल.

वा, वा! धागा अपडेट केलेला दिसतोय. खूपजणांनी मला सांगितलंय आतापर्यंत की आम्ही रोमात राहून ह्या धाग्यावरच्या बंदिशी नियमित पाहत, ऐकत असतो. ह्या धाग्याची कल्पना ब्रिलियंट होती गजानन. धन्यु! Happy

नुकतीच कुमार गंधर्वांची एक चीज ऐकली - ८०% शब्द कळले नाहीत

आवू कलंदर केसवा, आकरी आब्दाली भेसवा असं ऐकू आले. कुणी शब्द देउ शकेल का?

एबाबा आहेत दिलेले ते शब्द इथेच. Happy
पान १ वर पहा.

अरु आणि ललित. तुमचे खूप आभार. माझा थोडा बॅकलॉग झालाय. पण वाचते आहे.

पं. कुमार गंधर्व : राग कामोद : ऐसन कैस बरसत बरखा

ऐसन कैस बरसत बरखा
घिरी घिरी आइ छाय दिस चहुँवा

बहु दिन ते छिप गयो सूरजवा
ऊब रे गइ बरसन ते मनवा

पं. कुमार गंधर्व : राग शुध्द श्याम : मोय बुलायके

मोय बुलायके पूछो ना रे
अजब रीत तेरो है गा रे

सुलझना परे उलझायो रे
का कसूर मेरो है गा रे

पं. कुमार गंधर्व : राग दुर्गा : आनंद झरायो री

आनंद झरायो री
चितवत मन हुलसायो री

धवल मुखी बनी आयी निशा है
कैसे करूं मैं बरनी न जायो री

अकु कसंच कसंच... Happy

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.
कुमार गंधर्व : शिवगुरू यांचे निर्गुणी भजन : गुरा तो जिने
(शब्दांची खातजमा करा कृपया:) )

गुरा तो जिने ग्यान की जडीया दई (?)
वाही जडी तो माने प्यारी
जो लागी अमरीत रस की भरी

कायानगर में घर एक बंगला
जा बीच गुपत धरी

पाँच नाग पचीस नागनी
सूँगत तुरत मरी

आणि काळी ने सब जग खाया
सतगुरू देख डरी

सतवा शरणे शिवगुरू बोल्या
ले परवाळ तीरी

इथे पुन्हा पाच आणि पंचवीस! हरणांऐवजी नाग. पटकन लुब्ध होणार्‍या, मोहास फसणार्‍या मनाचं प्रतीक म्हणून हरिण असे मी समजत होतो. कस्तुरी दरवळतेय इतकं कळायचा अवकाश की लागले तिच्या शोधात जीव तोडून धावायला. दिसले मृगजळ, धावा उर फुटेस्तोवर. पण इथं नाग का?

पं कुमार गंधर्व : राग राही : आजा रे कंथा छांड परदेसा भाग १

आजा रे कंथा छांड परदेसा भाग २

तीन ताल

आजा रे कंथा छांड परदेसा
दिखा दे सुरत तोरा बरिहा बरस भयो

आज घर सूना डरावन लागै
अब ना सहूं मैं तो, बरिहा बरस भयो

(कुमारांनी रचलेला राग. लोकसंगीतावर आधारित)

गजानन, मला कबीराचा हा दोहा मिळाला :

कबीर

गुरू ने मोहिं दीन्ही अजब जड़ी।
सो जड़ी मोहिं प्यारी लगत है, अमृत रसन भरी।।
काया नगर अजब इक बंगला, तामें गुप्त धरी।
पांचो नाग पचीसो नागिन, सूँघत तुरत मरी।।
या कारे ने सब जग खायो, सतगुरू देख डरी।
कहत कबीर सुनो भई साधो, ले परिवार तरी।।

आणि हे आणखी एक (संदर्भ लोकसत्ता) : गुरू म्हणजे कोण? या प्रश्नाचे उत्तर देताना एका निर्गुणी रचनेत म्हटले आहे ‘गुरा तो जिन्हे ग्यानकी जडियाँ जडीं‘ तपश्चर्या आणि साधना करून ज्याने ज्ञानाच्या जटा धारण केल्या आहेत तोच ‘गुरू‘ या विशेषणाला पात्र ठरतो.

अकु, अच्छा. Happy मी हे भजन कुमारांच्या 'उड जाएगा हंस अकेला' या ध्वनी-संचातले ऐकून लिहीले. त्यात तबकडीच्या आवरणावर प्रत्येक रचना कोणाची आहे, हे नमूद केलेय. तिथे शिवगुरू असे लिहिलेय. तेव्हा ती माहिती विश्वसनीय असावी. वरची रचना तुला कोठे मिळाली? (मराठीत जशा कित्येक रचना तुका म्हणे / नामा म्हणे / एका जनार्दनी या नावांवर खपवलेल्या आढळतात, तसेही असेल का?)

कबीराची परंपरा आजही चालू आहे गजानन. अनेक स्थानिक कवी कबीराच्या रचनांसारख्या रचना करून त्या गात असतात व लोकपरंपरा त्या गीतांचे जतन करते. मागे चीजांच्या १ नंबरच्या धाग्यावर जी कबीर प्रोजेक्टची लिंक दिली होती ती त्याचाच पाठपुरावा करते. 'लोक में कबीर' नावाचे मध्यप्रदेश सरकार ने प्रकाशित केलेले पुस्तकही आहे. त्यात वेगवेगळ्या प्रांतांमधील कवींनी कबीराच्या दोह्यांप्रमाणे किंवा पदावलीप्रमाणे अतिशय प्रभावी अशा, संपन्न रचना केल्या आहेत, त्यांचा मागोवा घेतलाय.

मला वरची रचना जालावरच मिळाली. परंतु ती बहुतेक त्या व्याकरणानुसार नीट लिहिलेली नसावी, कारण ती जालावर फक्त एकाच ठिकाणी होती. सामान्यतः कबीर किंवा कबीर पंथाच्या रचना जालावर बर्‍याचदा उपलब्ध असतात.

तो शब्द माधो आहे की वेगळाय? -- तो शब्द 'माधो' असाच आहे.. आणि तू लिहिलाएस तोच अर्थ आहे... छायानट मध्ये एक बंदिश आहे - माधो मन बस गयो री मोरे

गजानन,
हे निर्गुणी भजन शिकलेय. तर ते वहीत वाचून नीट लिहीते पुन्हा इथे उद्यापरवा.

गुरु तोच जो या सर्व व्यापतापातून तुम्हाला तारुन नेईल.. हा भावार्थ फार सुरेख आणि राग मांड.

बाकी अरुंधती +१. अरुंधती- त्या माहितीपटासाठी तुला खरंच खूप धन्यवाद पुन्हा एकदा.

वॉव, रैना.... बहोत खूब!!

गजानन, त्या लिंकवरून मला इतर देखील खूप सुंदर लिंक्स मिळाल्या. त्या प्रोजेक्टमध्ये त्यांनी रेकॉर्ड केलेली काही गाणी आता तूनळीवर देखील अपलोड केली आहेत!

ललित, धन्स! Happy

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