ओळखा पाहू...!

Submitted by बिथोवन on 29 September, 2020 - 00:24

एसीपी प्रद्युम्न: दया, कुछ तो गडबड है।

दया: सर लगता है अंदर कोई है, दरवाज़ा बंद है।

एसीपी प्रद्युम्न: दया,अभिजीत, पता लगाओ ये कौन है, कोईना कोई सुराग जरूर मिलेगा।

दया: सर मैंने जब दरवाज़ा खटखटाया तो उसने कहा " एक दोन एक दोन ओळखा पाहू मी कोण?"

एसीपी प्रद्युम्न: इसकी ये मजाल? हमको चॅलेंज कर रहा है? दया, कुछ तो गडबड है।

अभिजीत: सर, ये तो कुछ भी नहीं। मैंने दरवाज़ा खोलनेके लिए कहा तो बोला," तीन चार तीन चार, तुमचा मी आवडता फार."

एसीपी प्रद्युम्न: अरे, ये क्रिमिनल हमारा आवडता कैसे हो सकता है? घोड़ा घास से दोस्ती करेगा ये मुनासिब ही नहीं।

दया: सर, मै गुस्से से लाल पीला हो गया और जाकर दरवाजे पे लात मारी, तो अंदर से उसने क्या कहा पता है? उसने कहा " पाच सहा पाच सहा असतो सदा गरम पहा "

एसीपी प्रद्युम्न: अरे, उसकी तो हद हो गयी। ये गरम दिमाग का लगता है। इसको ठंडा करना ही पड़ेगा। दया, कुछ तो गडबड है।

अभिजीत: सर, दया ने लात मारी तो उसके पैर में चोट आई इसलिए मैंने हात से जोर से थपथपाया तो उसने कहा," सात आठ सात आठ चटका बसेल काढा हात."

एसीपी प्रद्युम्न: क्या? इसकी ये हिम्मत? चटका लगेगा बोल रहा है? खुद को क्या गरम इस्त्री समझ रहा है क्या? इसका वायर काटना ही पड़ेगा।

दया: और मैंने जैसे ही वापस दरवाज़ा ठोका तो उसने मुझे चिढ़ाते हुए कहा, " नऊ दहा नऊ दहा ओळखलं का मी तो.."

एसीपी प्रद्युम्न: अब ये हमारा मज़ाक भी उड़ाने लगा। दया, कुछ तो गडबड है। तुम दरवाज़ा तोड़ दो।

दया: सर मैंने दरवाज़ा तोड़ दिया और वो सचमुच इस्त्री है तो समझो उसने मेरे गाल पे गरम इस्त्री लगा दिया तो? उसने पहले ही चेतावनी दी है, "चटका बसेल।"

अभिजीत: सर, और उसने ये भी कहा के
"असतो सदा गरम पहा।"

एसीपी प्रद्युम्न: तो तुम्हारी क्या राय है?

दया: सर, मामला बहुत पेचीदा है। मुझे लगता है इस केस को एमबीआय को सौंपा जाए।

एसीपी प्रद्युम्न: एमबीआय? तुम्हे एफबीआय कहना है ना? या सीबीआय?

दया: नहीं सर एमबीआय। एम फॉर मृणाल, एम फॉर म्हाळसा, मामी, मी राधिका, मी प्रेमिका, मी अस्मिता, मी परी मी अनु वगैरा।

एसीपी प्रद्युम्न: लेकिन ये एमबीआय क्या है?

दया: मायबोली ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन. ऑल वूमन टीम हैं सर. इसकी डायरेक्टर तमिलनाडु केडर कि आईपीएस है सर, २०१० के बैच कि।

एसीपी प्रद्युम्न: कौन, क्रेन बेदी?

दया: छोड़ो सर, क्रेन बेदी तो इसके सामने किस झाड़ कि पत्ती है। और वैसे भी बेदी को एक ही वेद आता है।

एसीपी प्रद्युम्न: मतलब?

दया: सर जिसको एक वेद आता है उसको बेदी कहते है, जैसे के क्रेन बेदी, कबीर बेदी, पूजा बेदी, प्रोतिमा बेदी, बिशनसिंह बेदी। दो वेद जाननेवाला द्विवेदी, तीन वेद जो जानता है वह त्रिवेदी और चार वेद जानने वाले चतुर्वेदी।

एसीपी प्रद्युम्न: तो ये तुम्हारी डायरेक्टर सब वेद जानती है?

दया: सिर्फ वेद नहीं सर, पूरी संहिता, ऋचा, मंडल, उपनिषद्, आरण्यक, शतपथ और भगवदगीता, अठारह पुराणों, रामायण, महाभारत, रामचरित मानस, ज्ञानेश्वरी, अभंग, भारुड, गुरुचरित्र, दत्तबावनी, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, मनाचे श्लोक सब मालूम है इसको। इंडियन पीनल कोड घोलके पी चुकी है सर। होम मिनिस्टर अमितो चहा कि चहेती है सर।

एसीपी प्रद्युम्न: नाम क्या है इनका?

दया: नाम पता नहीं पर सब लोक "एम एस" कहते है।

एसीपी प्रद्युम्न: एम एस धोनी जैसे बैटिंग करती हैं इसलिए?

दया: नहीं सर। एम एस मतलब मोबाइल स्पेशलिस्ट। हर केस मोबाईल पर क्रैक करती है सर। सर याद नहीं आपको पिछले महीने बंबई में वो मोबाईल कांड हुआ था? उसको इन्होंने चुटकी बजाते ही सुंदर कांड बनाया और क्रैक कर दिया।

एसीपी प्रद्युम्न: हां हां, याद आया। तो देर किस बात की, बुलाइए एम एस साहिबा को। ये एक दोन एक दोन को एक नंबर और दो नंबर करवाके ही रहेगी ये मोहतरमा।

दया: येस सर।

(डिस्क्लेमर: कथेच्या अनुषंगाने लेखनात काही माबो आयडी दिसत असतील तर तो निव्वळ योगायोग समजावा. धन्यवाद.)

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Lol , मस्तच जमलेयं , इथे मला वाटायचं कोणं ओळखतय मला, आणि माझी तर इमेजच(?) च झाली की बाब्बो Lol
मजा आगया दादा Lol
निव्वळ योगायोग >> हा योगायोग होता Sad now you are hurting me Proud इथं पर्यंत दोस्ती होती , आता कट्टी ! तुमचे लेखन आवडते हो , रात गई बात गई !! Happy