Submitted by Happyanand on 12 February, 2020 - 12:55
वह गरजते हुए बादल
और हसती हुई वह पागल
वह बूंद बूंद गिरती हुई बारिश
वह नज़रों से नज़रे मिलाने की साज़िश
चेहरे से टपकती हुई बूंदे
वह उबलती हुई चाय
उस चाय की प्याली को
भीगे हुए दुपट्टे से पकड़े हुए वह हाथ
उस मीठी सी चाय को
छूने वाले वह मिट्ठे से होठ
.…... हा हम इंतजार में है।
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मस्तच!!
मस्तच!!
धन्यवाद अज्ञातवासी ....
धन्यवाद अज्ञातवासी ....
इश्क़ की चादर ओढ़े समशान के
इश्क़ की चादर ओढ़े समशान के बाहर
सो रहा था आशिक़ कोई ,
लोग बेरहेम जला के चले गए।
अप्रतिम भावा
अप्रतिम भावा
अप्रतिम भावा
हिफ़ाजत कीजिए अपने हुनर की
हर किसी को ये नहीं मिलता
ए तो इनायत होती हैं रब की
इनायत हर किसी को नहीं मिलती
©Swamini chougule
Thank uhh swamini ji...
Thank uhh swamini ji....हिफ़ाजत कीजिए अपने हुनर की
हर किसी को ये नहीं मिलता
ए तो इनायत होती हैं रब की
इनायत हर किसी को नहीं मिलती
©Swamini chougule<<<<<<<< Kya baat hai Supperb..
@Happyandad Thanks
@Happyanand
Thanks