पाऊस...दिवसातला..

Submitted by उदयन. on 7 February, 2012 - 03:19

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पाऊस पहाटेचा

अलगद कानांवर
हळुवार मनावर
रिमझिम तालात
झुंजूमंजू भानावर..!!

.................... पाऊस सकाळचा
.................... धुक्यात चुरघळलेला
.................... दवात विरघळलेला
.................... पुर्वेकडील प्रकाशाच्या
.................... प्रेमात बागडलेला..!!

............................................पाऊस दुपारचा
............................................ गुढ हलचालींचा
............................................ राक्षसी बोलीचा
............................................ राजरोस दरोड्याचा
............................................ पुरुषी चालीचा..!!

.................................................................... पाऊस सांजेचा
.................................................................... तट्ट्याच्या गाडीचा
.................................................................... घराच्या ओढीचा
.................................................................... दारापाशी फिरणार्‍या
.................................................................... सैरभैर वेडीचा..!!

....................................................................................... पाऊस रात्रीचा
....................................................................................... काळोखात विझलेला
....................................................................................... ओला रिझलेला
....................................................................................... माहेर च्या आठवणीत
....................................................................................... नखशिखांत भिजलेला..!!

पाऊस स्वप्नातला
पापणी आड पाहिलेला
अंगीपत्री वाहिलेला
चिंबचिंब भिजुन ही
कोरडाच राहिलेला...!!

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त. टी. ही कविता माझी नाही..!! माझ्या वहीत कोणत्यातरी मित्राने लिहिली आहे..छान वाटली म्हणुन लिहित आहे.. कवी माहीत असल्यास कृपया सांगावे..

गुलमोहर: 

छान Happy

सही रे उदय!
<चांगली कविता, सुंदर सादरीकरण>+१

कविता सुंदरच पण प्रत्येक कडव्याला असे कंगवे का लावलेत?>>कवितेचे केस विंचरण्यासाठी