Submitted by संजय मेहेंदळे on 20 January, 2017 - 20:02
करते रहे हम उनका इंतजार
बैठे रहे थाम दिल-ए-बेकारार
हुआ नही जिक्र हमारा, उनसे एक भी बार
अब तो खयालोंमे ही, उनसे मिलते है बारबार
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बैठे थे हम उन्हें ख्वाबोंमे लिये
अकेले दिलकी झूठी तसल्लीके लिए
जब जले हकीकतके दिये
सारे ख्वाबमहल जला दिए
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उत्तम.........
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शुक्रिया कावेरी जी, तनिष्का
शुक्रिया कावेरी जी, तनिष्का जी !