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| | Anumi 
 |  |  |  | Monday, February 06, 2006 - 12:19 pm: |       |  
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 Ashach kahi ooli majhya kaduun
 
 Sangu Majhya manatlya kiti tari goshti?
 Pan tujhya manat aata tichyach goshti
 Mala saare kalale mhanoon gappch rahile
 He barobar ki chukale he mala nahi kalale
 
 
 |  | | Maanus 
 |  |  |  | Thursday, January 24, 2008 - 5:52 am: |       |  
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 आच्छा म्हणजे ही मने खुप आधीपासुन ईथे आहेत होय... मला वाटले काल परवापासुनच यायला लागली की काय.
 
 
 |  | | Ashusachin 
 |  |  |  | Wednesday, February 06, 2008 - 3:30 pm: |       |  
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 सगळे मिळुन मनाचे श्लोक म्हण बरे! मना सज्जना भक्ती पन्थीचे जावे!
 
 
 |  | | Zakki 
 |  |  |  | Wednesday, February 06, 2008 - 9:24 pm: |       |  
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 मना सज्जना भक्ती पन्थीचे जावे
 
 त्या मार्गाने कचेरीत पोचाल का? नि मग प्रोग्रॅमिंग कोण करणार? प्रॉजेक्ट पूर्ण कसे होणार?
 
 
 |  | | Astha 
 |  |  |  | Friday, February 08, 2008 - 4:08 pm: |       |  
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 मी इथे पहिल्यन्दाच लिहित आहे. खर तर मला वाटल तितक कठिण नहि हे
   मनाचे खेळ... जेव्हा मी लग्न केल तेव्हा माझ्या मनाने मला खात्रि दिली की बcक्ग्रोउन्द वेगळ असल तरी काय झाल.सगळ ठिक होईल. पण आज तेच मन लहान लहान गोश्टीन्वर... २-३ दिवस घालवत... नशिब इतकच की सगळे वाद विवाद मनातल्या मनात असतात
  ... मनाचे खेळ... म्हनून सोडून द्यायच दूसर काय
 
 
 |  | | Sashal 
 |  |  |  | Friday, February 08, 2008 - 10:46 pm: |       |  
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 ROFL..
   
 हे बघितलंच नव्हतं आधी  ..
 
 सही  BB  शोधून काढलाय  ..
 
 ह्या सगळ्या चर्चेत मला मात्र एक मोठ्ठा प्रश्न पडलाय  ..  मनाच्या खेळात  refree  कोण असतं?
   जो कोणी उत्तर सांगेल त्याला आपल्या मनातले खेळ इथे दाखवता येतील  ..
   
 
 |  | मन तळ्यात मळ्यात... जाईच्या कळ्यात
   
 
 |  | | Sashal 
 |  |  |  | Saturday, February 09, 2008 - 12:27 am: |       |  
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 छान छान, जाईबरोबर चालू दे हं खेळ  ..  खेळून झालं की सांग आम्हाला, कोण तळ्यात राहीलं आणि कोण मळ्यात गेलं ते  ..
   
 
 |  | आधीच मर्कट तशातही मद्य प्याला
 झाला व्रुश्चिकदंश मग त्याला
 झाली तयास मग भुत बाधा
 वदु कीती लीला कपिच्या अगाधा..
 
 आणि अशा आवस्थेत जर त्याच्या हातात मशाल दीली तर काय बोलायचे? मन हे असे असते. त्यामुळे मनाचे खेळ हे चालुच राहतील. ईथे लिहीण्याजोगे जे असेल ते लीहीले जाईल पण अगणित विचार मनात येतच राहतील... पण वरच्या उक्तीची सत्यता पटते हे खरे.
 
 असो. समर्थ रामदासांचे मनाचे श्लोक वाचावेत आणि मनन करावेत. आतातर ते नेट वर ही आहेत.
 
 रामराम..!
 
 
 |  | | Mansmi18 
 |  |  |  | Monday, February 18, 2008 - 4:39 pm: |       |  
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 मनाचे चाळे बन्द करायला नामस्मरणा सारखा सोपा आणि स्वस्त उपाय नाही.
 
 
 
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| चोखंदळ ग्राहक |  |  
| महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |  |  
| व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |  |  
| पांढर्यावरचे काळे |  |  
| गावातल्या गावात |  |  
| तंत्रलेल्या मंत्रबनात |  |  
| आरोह अवरोह |  |  
| शुभंकरोती कल्याणम् |  |  
| विखुरलेले मोती |  |  
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|   हितगुज दिवाळी अंक २००७
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