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| | Prajaktad 
 |  |  |  | Thursday, September 08, 2005 - 7:28 pm: |       |  
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 maaJyaa Aacyaa Xaojaair ek kaku rhayacyaa %yaaMcyakDo %yaaMnaa kDaPyaaca kpaT
 krayaca hÜt mhNauna...%yaa AamcyaakDo AÜTa krt Asalaolyaa gavanD\yaalaa mhnaalyaa..
 " doKܲhmaaro Gar mao AÜTo ko baajau mao eosaa 5
 kPpo ka kDaPpo ka ]Mca kpaT banaanao ka hO²tuma majauir iktnaa laogaa...
 ²²²²
 AiBa naohimako igaáhak kÜ jaada @yau saaMgato hÜ..
 ²²²²
 hmaaro ho Xaama kÜ  office sao Aayao ik tuma
 caaya po Aako baat kr laܲ...
 ijanaa ]trnao ko baad payair ko samaÜrka dar "
 
 
 
 
 
 |  | | Athak 
 |  |  |  | Sunday, October 23, 2005 - 12:15 pm: |       |  
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 kala  NDTV  varcaI maulaaKt Ê eka marazI BaaiYakacaI kaMdoBaava vaaZI var p`itiËyaa
 
 kaMdoka Baava gagana kÜ BaID gayaa . Aba BaajaImao @yaa Gaalaogaa .
 
 
 
 
 |  | | Athak 
 |  |  |  | Friday, November 25, 2005 - 6:47 pm: |       |  
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 Few more   मराठी माणुस हॉटेलात
 
 कांदा काटके चिरके मस्त ऑमलेट बनानेका और उपरसे थोडा कोथिंबिर भुरभुरानेका
 
 ये भाय मेंदुवडा सेप्रेट लाना सांबारमे बुडाके मत लाना
 
 खावो पेटभर खावो लाजो मत
 
 सरबतमे लिंबु पिळा क्या  ?
 
 
   
 
 |  | | Dakshina 
 |  |  |  | Monday, November 28, 2005 - 8:44 am: |       |  
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 वो मांजरको घर में आने मत दो, उसको सवय हो जाएगी.
 
 
 |  | घरमालकीण कामवालीला:
 
 कपडे आपट आपट के धोना
 बर्तन पाणी मे ठिक से खंगाळना
 दोपहर मे शायद मुझे बाहर जाना है, अगर दरवाजा उघडा दिखा तो ही आने का
 
 
   
 
 
 
 |  | lagataa hai sabkaa jevan ho gayaa hai .
 
 
 |  | | Urmilaq 
 |  |  |  | Monday, December 05, 2005 - 4:41 pm: |       |  
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 basa maQaoÊ jagaa Kaila hÜ gayaa baOz ko laÜ
 
 
 |  | | Ramani 
 |  |  |  | Thursday, January 19, 2006 - 11:49 am: |       |  
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 माझ्या आईच्या शेजारी एक काकु होत्या, त्यांचे हिन्दि
 'अरे भैया तुम ४ दिन दुध मत घालो, हमारे मुलगे को बरा नहि है न, तो हम जरा हवाचेंजिंग के लिये आजोलमे जा रहे है.'
 
 आणखिन एक म्हणजे, खान्देशातले लोक काय हवेय असे विचारयचे असताना,
 'तुमको क्या होना? कौनसे पेन का रिफ़ील होना? रेनोल्ड के शार्प?'
 किंवा
 'भाउ जरा हमको दो दहि कचोरी होना!'
 
 
 |  | | Maetrin 
 |  |  |  | Thursday, January 19, 2006 - 4:31 pm: |       |  
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 टि. व्ही वर पूरण पोळी कशी बनवावी,हे दाखवताना.........
 अभी कनीक को ऐसे मळो...फीर पुरण डालो.. और गोल करो,फीर धीरे धीरे लाटो.
 
 
 |  | | Aarti 
 |  |  |  | Sunday, January 22, 2006 - 10:45 am: |       |  
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 माझी बहिण १ दिवस भाजी वाल्या भैया ला म्हणाली.
 
 भैया याची किम्मत कितना है
 
 
 |  | | Mepunekar 
 |  |  |  | Wednesday, January 25, 2006 - 8:24 pm: |       |  
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 Mazya maitrinichya bday la tichya ghari gelo hoto sagle friends. Teva tyanchya ghari ek jan ala asta tichi aai tyala mhanali, abhi tum bahar thambo. Andar sab mulgi baithe hai. nantar aao....
 
 
 |  | | Pendhya 
 |  |  |  | Monday, January 30, 2006 - 4:49 am: |       |  
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 पुण्यात असतांना, आमच्या घराच्या शेजारी रहात असलेल्या एक  "  काकू " . त्यांनी एकदा त्यांच्या घराचे दार ऊघडले आणी त्यांच्या समोर आमच्या कॉलनीला पहारा देणारा गुरखा ऊभा होता.
 गुरख्याला भसकन समोर बघुन काकू म्हणाल्या होत्या, "  ए गुरखा, तुम ऐसा एकदमसे मत आते जाव, हमारे छाती मे धस्स होता है.
 
 
 .... एक हकिकत.
 
 
 |  | | Maudee 
 |  |  |  | Wednesday, April 26, 2006 - 7:18 am: |       |  
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 आमचा एक  project manager  आहे....त्याचे हे हिन्दी.....
 १. तुम  directly customer  से बात करोगे तो  problem  होत है...फ़िर उसको कौन निस्तरेगा?? आउर तोडगा कौन निकालेगा?
 
 
 
 |  | हा एक खरा किस्सा आहे. तेव्हा आम्ही काॅलेजमधे होतो. मी, मझी शेजारची मैत्रिण, तिची बहिण, अजुन दोन मैत्रिणि एकत्र अभ्यास करत होतो. सगळे मॅथ्सचे प्राॅब्लेम सोडविताना सगळ्यांनी ब्रेक घ्यायचे ठरविले. मी थंडगार पाणि आणि खायला स्नॅक्स आणले. सगळे एकदम हल्लागुला करत होतो. तेव्ढ्यात मैत्रिणिच्या बहिणिच्या हातुन ग्लासमधील पाणि सांडले. तर पटकन ती म्हणाली," अरे यार पाणि सांड गया..."
 या वाक्यावर सगळे एवढ्या जोराने हसायला लागले की प्रथमत: तिला कळलेच नाही की काय झाले म्हणुन??? मग आपली चुक समजल्यावर ती पण त्यात सामिल झाली. त्यानंतर कधीही आम्ही एकत्र अभ्यासाला बसलो की या किस्स्याची फ़ार आठवण येते.
 
 
 |  | | Ramvn 
 |  |  |  | Wednesday, April 26, 2006 - 5:19 pm: |       |  
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 पवसाळ्यात ऐकलेल एक वाक्य
 उधर ना पानी तुम्बा है वळ वळ के जाना
 
 
 |  | | Mrinmayee 
 |  |  |  | Wednesday, April 26, 2006 - 5:34 pm: |       |  
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 आमच्या ओळखीच्या एक काकु काकांची बदली झाली तेव्हा पिथमपूर ( MP )त रहायला गेल्या. काकुंना घरकामात मदत करायला एक मुलगा मिळाला. त्या दोघांचा संवाद्:
 "रामरतन चावलमें क्यो खडा है"?
 "चावल में कहा भाभीजी मैं तो यहा हू"
 "क्या बात करते हो ये देखो".
 "आपका मतलब कंकर भाभीजी"!
 "मेल्या, कंकरतो मैने हातमे पेहेने है. मै खडे की बात कर रही हू".
 काकुंची मुलं शेजारी उभी राहून संवाद्सुख घेत होती!
   
 
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| चोखंदळ ग्राहक |  |  
| महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |  |  
| व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |  |  
| पांढर्यावरचे काळे |  |  
| गावातल्या गावात |  |  
| तंत्रलेल्या मंत्रबनात |  |  
| आरोह अवरोह |  |  
| शुभंकरोती कल्याणम् |  |  
| विखुरलेले मोती |  |  
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|   हितगुज दिवाळी अंक २००७
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