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Champak
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| Thursday, December 01, 2005 - 7:26 pm: |
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कसा झाला दौरा..... किती बिसलेरी पिलात
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चम्पक दौरा उत्तम झाला, आणि भरपूर बिसलेरी प्यालो.... 
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Megha16
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| Thursday, December 01, 2005 - 8:53 pm: |
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विनय परत एकदा अभिनदन तुमच्या पुस्तक प्रकाशनाची बातमी सकाळ मधे वाचली खरी,पण अधीक खोल माहीती गिरिष ने सांगीतल्याने.मस्त वाटल.
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Gurudasb
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| Friday, December 02, 2005 - 5:43 am: |
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विनय स्वदेशात फ़क्त बिसलेरीच ???? चम्पकाक मासेय भरपूर खाल्लय म्हणान सांग
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गुरूकाका, चंपकान फक्त बिसलेरीची चवकशी केल्यान म्हणान तां सांगलंय.... आणि बराच काय काय खाल्लय गाळी न्हय) ... सई, आपण सगळे भेटलो, बोललो, आणि खाल्लं देखील अजून काय हवं फक्त आरतीने सांगितलेलं कथाकथन राहिलं... ते पुढे कधीतरी....(त्याला जागा पण तशी लागते नाही का?)
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Champak
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| Friday, December 02, 2005 - 5:11 pm: |
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गुरूकाका, चंपकान फक्त बिसलेरीची चवकशी केल्यान म्हणान तां सांगलंय.... >>>>>>< पुन्याक गेलं त पुणेरी झालं का वो तुम्ही! ते बिसलेरी च संदर्भ वेगळा होता हो! लक्षात न्हाई आले का?
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Nalini
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| Friday, December 02, 2005 - 5:11 pm: |
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विनय, हे छान केलेत आता हा वृत्तांत वाहुन जाणार नाही, जमले तर प्रकाशन सोहळ्याचा एखादा फोटोही टाका.
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अरे चंपक, पुण्यास गेलो तो पुण्याचा झालो... हा ही त्या पाण्याचा परिणाम.. पण तुला एक शिक्रेट सांगतो.. माझा जन्मच पुण्याचा आहे... नलिनी, मी फोटो टाकायचा प्रयत्न केला, पण सध्या मायबोलीवर ते शक्य होत नाही.... Technical Problem थोडी वाट पाहुया....
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आयला पुण्याचा जन्म? आणि चक्क तू gypsy त bill भरलस??
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ही लिंक आहे... फोटोसाठी... पण कदाचीत तुम्हाला मेंबरशिप लागेल http://photos.groups.yahoo.com/group/maaybolifiles/lst?.dir=/&.view=t&.src=gr&.done=
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Champak
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| Sunday, December 04, 2005 - 9:19 am: |
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Please madhee, public la open karun dya na to album 
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अरे मिलिंद कधी कधी Acting करावी लागते.. ही घ्या वेगळी लिंक तिथे फोटो बघा... BTW मी वाटसरू आणि प्रियाला मेल पाठवली आहे.. उत्तर अपेक्षित आहे... http://photos.yahoo.com/vinay63
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Vaatsaru
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| Monday, December 05, 2005 - 8:52 pm: |
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ivanayaÊ tumhalaa maola kolao AahoÊ ]<ar Apoixat Aaho 
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Giriraj
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| Wednesday, December 07, 2005 - 5:07 am: |
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या व्रूत्तांताच निरुपण कुणी करू शकेल का?
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Milindaa
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| Wednesday, December 07, 2005 - 1:33 pm: |
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तू कर की
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चोखंदळ ग्राहक |
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महाराष्ट्र धर्म वाढवावा |
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व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत |
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पांढर्यावरचे काळे |
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गावातल्या गावात |
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तंत्रलेल्या मंत्रबनात |
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आरोह अवरोह |
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शुभंकरोती कल्याणम् |
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विखुरलेले मोती |
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हितगुज गणेशोत्सव २००६ |
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