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Neel_ved
 
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 |  | Thursday, July 01, 2004 - 7:01 am:    |  
 
 
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 saMgaIt AaiNa Aayauvao-d yaaMcaa prspraXaI kahI saMbaMQa Aaho kaÆ maagao ekda maI eka laoKat vaacalao
hÜto ik yaÜgya ]pcaaracyaa jaÜiDlaa saMgaItatIla ivaivaQa ragaaMcaa ]pyaÜga krta yaotÜ. maaga-dXa-na kravao
 
 
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Moodi
 
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 |  | Wednesday, February 01, 2006 - 1:42 pm:    |  
 
 
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 हो आहेत काही असे राग जे आयुर्वेदाला सहाय्य करतात. हे राग आपली प्रकृती ओळखुन ऐकले की जास्त परिणाम देतात.    कफ प्रवृत्तीकरता :  भैरव, जोगिया, विभास.    वात प्रकृतीकरता :  भिमपलासी, जौनपुरी, मेघ, सारंग, वृंदावनी.    पित्त प्रकृतीकरता :  पुरिया, यमन, भूप, खमाज, झिंझोटी सारंग.    अजुन आहेत पण शोधावे लागतील. 
 
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Gautami
 
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 |  | Wednesday, February 01, 2006 - 2:02 pm:    |  
 
 
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 आपली प्रक्रुती कशी आहे हे कसे ओळखावे? 
 
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Karadkar
 
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 |  | Thursday, February 02, 2006 - 4:37 am:    |  
 
 
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 गौतमी इथे बघ ग. मला माझी बरोबर कळाली प्रक्रुती. आणि अश्विनी पण म्हणालेली मागे की इथे कि बरेचसे बरोबर आहे म्हणुन.    http://www.chopra.com/doshaquiz.asp 
 
 
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Gautami
 
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 |  | Thursday, February 02, 2006 - 2:36 pm:    |  
 
 
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 karadkar,    thanks for the link. it is really helpful.
 
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| चोखंदळ ग्राहक | 
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| महाराष्ट्र धर्म वाढवावा | 
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| व्यक्तिपासून वल्लीपर्यंत | 
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|  पांढर्यावरचे काळे | 
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|  गावातल्या गावात | 
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|  तंत्रलेल्या मंत्रबनात | 
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|  आरोह अवरोह | 
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|  शुभंकरोती कल्याणम् | 
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|  विखुरलेले मोती | 
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|  हितगुज गणेशोत्सव २००६   | 
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